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कल से फोर्ड को टाटा

Last Updated- December 05, 2022 | 5:01 PM IST

रतन टाटा ही नहीं, समूचे कारोबारी जगत के लिए आखिर इंतजार की लंबी घड़ियां खत्म हो गईं।


 आखिरकार टाटा मोटर्स दुनिया की लक्जरी गाड़ियों में शुमार जगुआर और लैंड रोवर को खरीदने के अपने अरमान को औपचारिक तौर पर बुधवार को पूरा कर लेगी।


यूनाइट नामक एक प्रभावशाली यूनियन, जोकि फोर्ड कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करती है, के एंड्रयू डॉड्ग्सन ने बताया,”हमें सूचना मिली है कि आने वाले बुधवार यानी 26 मार्च को टाटा और फोर्ड के बीच इस बाबत एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए जाएंगे।”


डॉड्ग्सन ने बताया कि दोनों ब्रांडों को खरीदने के बावजूद टाटा इंग्लैंड में स्थित इसके दोनों उत्पादन केंद्रों को बरकरार रखेगी और साथ ही इंग्लैंड से इंजन और ट्रांसमिशन की सप्लाई भी जारी रखेगी। जबकि फोर्ड ने भी इस बात के लिए सहमति जताई है कि वह कर्मचारियों के पेंशन फंड में ‘वास्तविक’ घाटे को नियंत्रण करेगी। डॉड्ग्सन ने बताया,”कंपनी या तो इसके लिए धन मुहैया करवा चुके हैं या फिर इसकी योजना बना रहे हैं।”


इस सौदे के लिए की गई दो अरब डॉलर की पेशकश के तहत टाटा मोटर्स ने फोर्ड को यह आश्वासन भी दिया था कि वह जगुआर और लैंड रोवर का ‘भारतीयकरण’ नहीं करेगी। हाल ही में टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने भी कहा था कि यदि वह किसी कंपनी का अधिग्रहण करते हैं तो वहां पहले से काम रहे कर्मचारियों को बेफ्रिक हो कर काम करना चाहिए।


टाटा की इस बात का कर्मचारियों पर भी सकारात्मक असर हुआ है। इसीलिए डॉड्ग्सन कहते हैं- ”हमारे पास जो भी है, उसमें हम खुश हैं। यह अफवाहें उड़ रही हैं कि कर्मचारियों की नौकरियों से निकाल दिया जाएगा, बिल्कुल गलत है। सच्चाई है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।”


पहले से काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरी छीने जाने की अफवाहों को खारिज करते हुए टाटा ने यूनाइट को भरोसा दिलाया था कि इंग्लैंड में स्थित जगुआर और लैंड रोवर के तीनों प्लांटों सोलीहुल, कैसल ब्रोमविच और हेलवूड को बरकरार रखा जाएगा। हालांकि, यूनाइट करीब 12,000 फोर्ड कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन कंपनी की सभी इकाइयों में कर्मचारियों की कुल तादाद 35,000 से 40,000 के बीच है।


फोर्ड ने साल 1989 में जगुआर को 2.5 अरब डॉलर में खरीदा था और साल 2000 में लैंड रोवर को 2.75 अरब डॉलर में। लेकिन कंपनी को साल 2006 में 12.6 अरब डॉलर के जबरदस्त घाटे का सामना करना पड़ा था। कंपनी के 103 साल के इतिहास में उसे हुआ यह सबसे बड़ा घाटा था।


जगुआर और लैंड रोवर को जब फोर्ड द्वारा बेचे जाने का मामला चल रहा था, तो उस वक्त टाटा की टक्कर में बोली लगाने वालों में एक अन्य भारतीय कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा और एक अमेरिकी कंपनी भी शामिल थी।

First Published - March 25, 2008 | 12:42 AM IST

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