टाटा टेलीसर्विसेज की मूल कंपनी टाटा संस रकम जुटाने के लिए बैंकों से बातचीत कर रही है ताकि टाटा टेली का बकाया बैंकों को और भारत सरकार को चुका सके। नुकसान उठाने वाली कंपनी को 1,250 करोड़ रुपये बैंकों को और बकाए का 10 फीसदी सरकार को मार्च के आखिर तक सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मुताबिक समायोजित सकल राजस्व के तौर पर चुकाना है। बैंकिंग सूत्र ने यह जानकारी दी।
पिछले साल 16 मार्च को दूरसंचार विभाग ने 16,798 करोड़ रुपये की रिकवरी के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था क्योंंकि टाटा समूह की कंपनियों के खिलाफ एलएफ, स्पेक्ट्रम यूजेज चार्जेज, ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज की मांग की गई थी और 12,061 करोड़ रुपये बकाया दिखाया था। टाटा टेली की तरफ से 4,197 करोड़ रुपये चुकाने के बाद की रकम है, जो उसने साल 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद चुकाया था और ब्याज की लागत घटाने के लिए ऐसा किया था।
पिछले साल सितंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी ऑपरेटरों को 31 मार्च से पहले कुल बकाए का 10 फीसदी और बाकी रकम 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2031 तक किस्तों में चुकाने का आदेश दिया था, जो हर साल मार्च में चुकाया जाना है।
एक बैंंकर ने कहा, टाटा टेली की वाणिज्यिक प्रतिभूतियां भी मार्च में दो चरणों में देय है और सरकार को भी अतिरिक्त भुगतान किया जाना है, ऐसे में टाटा संस ने रकम जुटाने के लिए बैंकों से बातचीत शुरू की और समय पर दूरसंचार कंपनी का बकाया चुकाने में जुट गई है।
इस बारे में जानकारी के लिए टाटा संस को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
होल्डिंग कंपनी टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड के पास टाटा टेली की 74.5 फीसदी हिस्सेदारी है और कंपनी के ऊपर बैंकों का सारा बकाया चुकाया है जबकि कंपनी भारी नुकसान उठा रही थी।
हालांकि टाटा टेली और उसकी सूचीबद्ध सहायक टाटा टेली महाराष्ट्र ने सर्वोच्च न्यायालय में दूरसंचार विभाग के दावे पर गणना की चूक आदि में संशोधन की मांग की थी, लेकिन उसे अब तक कोई राहत नहीं मिली है। मामला अभी लंबित है।
टाटा समूह की कंपनियों में टाटा टेली पिछड़ी रही है और टाटा संस वायरलेस टेलीफोन ऑपरेशंस में भारी नुकसान उठा रही है। समूह ने उपभोक्ता मोबाइल कारोबार साल 2019 में भारती एयरटेल को बेच दिया, लेकिन पूरी देनदारी अपने पास रखी है और बैंकों को 60,000 करोड़ रुपये चुकाया है। इससे टाटा समूह को बैंकों के बीच अपना गुडविल बनाए रखने में मदद मिली, जिन्हें दूरसंचार कंपनियों की तरफ से हुई काफी डिफॉल्ट से झटका लगा था।
वित्त वर्ष 2020 में कंपनी ने 1,866 करोड़ रुपये राजस्व अर्जित किए और एकल आधार पर कंपनी का नुकसान 13,226 करोड़ रुपये रहा। संचयी नुकसान के कारण कंपनी का पूरा नेटवर्थ समाप्त हो गया है।