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लौह अयस्क खदानों के लिए बोली लगाएगी टाटा स्टील

टाटा स्टील के पास मौजूद 4 लौह अयस्क खदानों- जोडा ईस्ट, नोआमुंडी, काटामाटी और खोंडबोंड का पट्टा खनन विनियम में बदलाव के बाद 2030 में खत्म होने वाला है।

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ईशिता आयान दत्त   
Last Updated- August 06, 2023 | 10:57 PM IST

टाटा स्टील ने करीब 60 करोड़ टन लौह अयस्क का भंडार तैयार कर लिया है और वह 2030 से आगे की तैयारी में जुट गई है क्योंकि उस समय उसकी कैप्टिव खदानें नीलामी के लिए जाएंगी। उसके पास मौजूद 4 लौह अयस्क खदानों- जोडा ईस्ट, नोआमुंडी, काटामाटी और खोंडबोंड का पट्टा खनन विनियम में बदलाव के बाद 2030 में खत्म होने वाला है। कंपनी देसी कामकाज इन्हीं खदानों से निकलने वाले लौह अयस्क से करती है।

उसी वर्ष भारत में स्टील बनाने की क्षमता दोगुनी यानी 4 करोड़ टन करने का भी टाटा स्टील का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य है। इस कारण लौह अयस्क की आवश्यकता बढ़ेगी। कंपनी बढ़ी हुई जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन सुनि​श्चित करने पर जोर दे रही है।

टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि टाटा स्टील ने 55 से 60 करोड़ टन लौह अयस्क भंडार जमा कर लिया है, जो 2030 के बाद कंपनी के काम आएगा। उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने गंधालपाड़ा खदान के लिए बोली लगाई, जो नई खदान है और जिसमें करीब 30-35 करोड़ टन लौह अयस्क है। हम इस खदान को तैयार करेंगे ताकि 2030 के आसपास इससे उत्पादन शुरू हो जाए।’

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कुछ खदानें बीते कुछ वर्षों में स्टील संप​त्तियों के अ​धिग्रहण के साथ टाटा स्टील को मिली हैं। टाटा स्टील ने पिछले साल सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई नीलाचल इस्पात निगम का अ​धिग्रहण किया था। इस अ​धिग्रहण से टाटा स्टील को बड़े भूखंड के साथ ही करीब 11 करोड़ टन लौह अयस्क भंडार भी मिला था।

नरेंद्रन कहा, ‘यह खदान शून्य प्रीमियम में मिली है।’ उन्होंने कहा कि यही वजह है कि टाटा स्टील ने अ​धिग्रहण के लिए 12,100 करोड़ रुपये चुकाए। उन्होंने कहा ​कि इस खदान में 11 करोड़ टन भंडार का तो पता है। हम देख रहे हैं कि इसमें और अयस्क तो नहीं छिपा है।’ वर्ष 2019 में टाटा स्टील की सहायक इकाई टाटा स्पॉन्ज आयरन ने उषा मार्टिन के इस्पात कारोबार का

अ​धिग्रहण किया था। इसके पास 2.5 करोड़ टन भंडार वाली खदान है। भूषण स्टील के अ​धिग्रहण से कंपनी को 10 करोड़ टन भंडार वाली खदान भी मिली थी।

नरेंद्रन ने कहा, ‘मगर कंपनी अभी तक अ​धिग्रहीत खदानों के भरोसे ही नहीं बैठना चाहती। अभी से लेकर 2030 तक हम ओडिशा और झारखंड में और भी नीलामियों में हिस्सा लेंगे और देखेंगे कि उचित मूल्य पर और खदानें मिल सकती हैं या नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2030 में हमारे पास अपनी चार खदानों की बोली लगाने का विकल्प होगा। अगर हम तब तक और खदान हासिल नहीं कर पाते हैं तो अहम इन खदानों के लिए आक्रामक बोली लगा सकते हैं।’

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खनन कानून में बदलाव की वजह से खनन लाइसेंस की वैधता खत्म होगी। वर्ष 2015 में खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) कानून में संशोधन किया गया था और खदानों के पट्टाधारकों (खुद के इस्तेमाल वाले लौह अयस्क सहित) को 31 मार्च, 2030 तक लाइसेंस बरकरार रखने की अनुमति दी गई थी।

इक्रा में वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयंत रॉय ने कहा, ‘कोयला और लिग्नाइट को इस संशोधन के दायरे से बाहर रखा गया था।’ लौह अयस्क और कोकिंग कोयला स्टील बनाने के लिए दो बहुत जरूरी कच्चे माल हैं। टाटा स्टील अपने भारतीय कारोबार की 100 फीसदी जरूरत कै​प्टिव खदानों से पूरी करती है। इससे कंपनी को कीमतों में उतार-चढ़ाव के असर से बचने में मदद मिलती है।

First Published : August 6, 2023 | 10:57 PM IST