टाटा समूह की प्रमुख कंपनी टाटा मोटर्स वाहन बाजार में अपना दबदबा बनाने के लिए नए मॉडलों पर सवार होने का मन बना रही है।
उसे लगता है कि इन मॉडलों के साथ उसके विकास की रफ्तार बढ़ जाएगी। पिछले साल छोटी कार और मध्यम श्रेणी की कोई कार नहीं लॉन्च करने से ऑटो बाजार में टाटा की हिस्सेदारी काफी कम हो गई है। अप्रैल-मई 2008 के दौरान हुंडई ने सबसे ज्यादा कार बेची हैं। इस कारण देश में हुंडई सबसे आगे चल रही है।
कॉम्पेक्ट कारों की श्रेणी में टाटा की इंडिका मौजूद है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के आंकडों के मुताबिक वित्त वर्ष 2006-07 के दौरान इस श्रेणी में टाटा की हिस्सेदारी 19.21 फीसदी थी। लेकिन वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान कंपनी की यह हिस्सेदारी घटकर 15.78 फीसद ही रह गई है। इसी तरह इंडिगो की हिस्सेदारी भी 17.42 फीसदी से घटकर 13.91 फीसद ही रह गई है।
टाटा इस साल के पहले दो महीनों में यात्री वाहन श्रेणी में मात्र 37,991 वाहन ही बेच पाई थी। जबकि इस श्रेणी में कंपनी के इंडिका, इंडिगो मरीना, विंगर, सूमो और सफारी जैसे मॉडल मौजूद हैं। दूसरी तरफ हुंडई ने इसी दौरान लगभग 46,011 वाहन बेचे थे। इस मामले में मारुति सुजुकी सबसे आगे रही । विशेषज्ञों के मुताबिक इंडिका और इंडिगो की लॉन्च में हुई देरी के कारण टाटा को यह नुकसान उठाना पड़ा है।
टाटा के घटते बाजार का फायदा हुंडई मोटर्स और जनरल मोटर्स की ब्रांड शेवरोले ने उठाया। मुंबई के एक ऑटो उद्योग विशेषज्ञ का कहना है, ‘कंपनी ने काफी वक्त से कोई भी नया मॉडल बाजार में नहीं उतारा है। अब तो इंडिका और इंडिगो जैसे मॉडलों की मांग भी काफी तेजी से घट रही है। अभी कंपनी के कई नए मॉडल लॉन्च किये जाने है। हाल ही में लॉन्च की गई देश की सबसे छोटी सेडान कार टाटा इंडिगो सीएस की मांग बढ़ी है।
इसके अलावा कंपनी के बाकी मॉडलों के आंकडे क़ाफी निराशाजनक है।’ पिछले साल मारुति ने सबसे ज्यादा लगभग 7.11 लाख कारें बेचीं । टाटा की इस देरी का सबसे ज्यादा फायदा जनरल मोटर्स को हुआ है। ऑटो बाजार में कं पनी की हिस्सेदारी 2.81 से बढ़कर 4.30 हो गई। वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान उद्योग की विकास दर 12 फीसदी थी जबकि कंपनी की विकास दर मात्र 0.45 फीसदी ही थी।
इस आंकड़े को और बेहतर करने के लिए टाटा इस साल कॉम्पेक्ट कार, मध्यम श्रेणी और स्पोर्ट युटिलिटी व्हीकल समेत 4 नए मॉडल लॉन्च करने वाली है। इस साल के अंत में कंपनी नैनो भी लॉन्च क रेगी। इसके बावजूद कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि पूंजी की कमी और बढ़ती ब्याज दर के कारण यात्री कार श्रेणी में विकास करना जरा मुश्किल होगा। तेजी से बढ़ती महंगाई दर के कारण तो यह और भी मुश्किल लग रहा है।