टाटा कैपिटल के निदेशक मंडल ने अपरिवर्तनीय डिबेंचर (Non-Convertible Debentures-NCDs) के जरिये 20,000 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी दी है। कंपनी इस पैसे का इस्तेमाल अपने मुख्य कारोबार यानी कर्ज देने में करेगी। कंपनी की सहायक इकाई (सब्सिडियरी कंपनी) टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनैंस भी 8,000 करोड़ रुपये जुटाने जा रही है मगर वह रकम 20,000 करोड़ रुपये का हिस्सा नहीं होगी।
पूंजी जुटाने की योजना को टाटा संस से मंजूरी मिलने के बाद टाटा कैपिटल निजी नियोजन के आधार पर डिबेंचर जारी करेगी। यह पूंजी एकमुश्त भी जुटाई जा सकती है और किस्तों में भी ली जा सकती है।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार एचडीएफसी बैंक ने पिछले साल फरवरी में 25,000 करोड़ रुपये और पीरामल हाउसिंग फाइनैंस ने अगस्त 2016 में 20,455 करोड़ रुपये जुटाए थे। रिलायंस ने पिछले साल नंबर में बॉन्ड जारी कर 20,000 करोड़ रुपये इकट्ठे किए थे।
वित्तीय सेवा कारोबार में तेजी देखते हुए टाटा संस समय-समय पर टाटा कैपिटल में पूंजी डालती रही है। टाटा संस 2020 से टाटा कैपिटल में करीब 5,000 करोड़ रुपये लगा चुकी है। ऊपरी श्रेणी यानी बड़े आकार की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को सूचीबद्ध कराने के भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश का पालन करने के लिए टाटा समूह भी कैपिटल फाइनैंशियल सर्विसेज को 2025 तक शेयर बाजार में ले जाने की योजना बना रहा है।
बैंकरों ने बताया कि टाटा समूह की बैटरी सेल बनाने वाली कंपनी एग्रेटास एनर्जी स्टोरेज भी ग्रीन लोन के तौर पर 50 करोड़ डॉलर जुटाने की योजना बना रही है।