मारुति सुजूकी इंडिया (एमएसआईएल) की मूल कंपनी सुजूकी मोटर कॉर्पोरेशन ने एक त्रिपक्षीय समझौता किया है। यह समझौता भारत में सुजूकी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी सुजूकी आरऐंडडी सेंटर इंडिया, नैशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) और बनास डेयरी के बीच बायोगैस उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए किया गया है।
इस परियोजना में बायोगैस से मीथेन को परिष्कृत करके वाहनों के लिए ईंधन बनाया जाएगा। यह बायोगैस गाय-भैंस के गोबर के किण्वन से उत्पन्न होती है। गुजरात के बनासकांठा जिले में 230 करोड़ रुपये की लागत से चार बायोगैस उत्पादन संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जिनका परिचालन वर्ष 2025 से शुरू होगा।
सुजूकी मोटर के एक बयान में कहा गया है कि इसके अलावा, प्रत्येक संयंत्र के साथ बायोगैस भरने का स्टैंड भी स्थापित किया जाएगा। यह सीएनजी वाहनों के लिए ईंधन वितरित करेगा, जिसमें मारुति सुजूकी के पास भारत में 70 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है।
Also read: Maruti Suzuki AGM: 40 लाख कारें बनाएगी मारुति, 45 हजार करोड़ के कैश रिजर्व का करेगी इस्तेमाल
मारुति सुजूकी इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एच टेकेउची ने कंपनी की वित्त वर्ष 23 वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि किसी वाहन कंपनी के मामले में उत्पादों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन की कुल कार्बन उत्सर्जन में लगभग 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी रहती है। इसलिए उत्पादों का कार्बन कम करने से खासा फर्म पड़ता है। कंपनी के पास देश में सबसे कम कार्बन उत्सर्जित करने वाला बेड़ा है।
उन्होंने कहा था कि ग्राहकों, पर्यावरण और देश के फायदे के लिए कंपनी ने कार्बन की मौजूदगी कम करने के लिए एक ही तकनीक पर निर्भर रहने के बजाय कई पावरट्रेन प्रौद्योगिकियों को अपनाया है।