देश की सबसे बड़ी दवा कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज और दिलीप सांघवी (प्रबंध निदेशक) और सुधीर वालिया (निदेशक) समेत उसके सात कार्याधिकारियों ने 2.92 करोड़ रुपये का जुर्माना चुकाने के लिए सहमति देकर बाजार नियामक सेबी के साथ अपना लंबित विवाद सुलझा लिया है। सन फार्मा ने 56 लाख रुपये का निपटान शुल्क चुकाने के लिए सहमति जताई है, जबकि सांघवी 62.3 लाख रुपये और वालिया 37.4 लाख रुपये चुकाएंगे। अन्य लोगों ने 18.5 लाख रुपये और 37.4 लाख रुपये के बीच रकम चुकाने पर सहमति जताई है।
यह मामला संबंधित मानकों के उल्लंघन और कोष गबन के आरोपों से संबंधित था।
व्हिसिल-ब्लोअरों ने आरोप लगाया था कि सन फार्मा और उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई सन फार्मास्युटिकल लैबोरेटरी ने आदित्य मेडिसेल्स के जरिये कोष का गबन किया। आदित्य मेडिसेल्स भारत में उसकी एकमात्र वितरक है। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया था कि कोष की हेराफेरी कई वर्षों तक बरकरार रही, लेकिन सन फार्मा ने 2017-18 में ही आदित्य मेडिसेल्स को इस मामले में संबंधित पक्ष के तौर पर घोषित किया था।
आरोपों के आधार पर, पंूजी बाजार नियामक सेबी ने जांच के साथ साथ फॉरेंसिंक ऑडिट शुरू कराया। इसमें पाया गया था कि दवा दिग्गज संबंधित पक्षों से संबंधित नियमों का पालन करने में विफल रही।
सेबी के आदेश के अनुसार, सन फार्मा आदित्य मेडिसेल्स के साथ सौदों के लिए ऑडिट समिति की पूर्व मंजूरी लेने में विफल रही थी। इसके अलावा, वह शेयरधारकों की मंजूरी हासिल करने में भी नाकाम रही। कंपनी ने अपनी सालाना रिपोर्टों में भी इन संबंधित पार्टी के लेनदेनों का खुलासा नहीं किया।
मार्च 2020 में, सेबी ने इस मामले में कार्यवाही शुरू की थी। बाद में, मई में नियामक ने सन फार्मा और सात लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी कर कंपनी के मामलों पर स्पष्टीकरण की मांग की थी। जहां इस मामले की जांच चल रही थी, सन फार्मा और अन्य लोगों ने सहमति के साथ निपटान के लिए आवेदन किया। सेबी की उच्च पदस्थ सलाहकार समिति ने दिसंबर में इस निपटान अनुरोध को स्वीकार किया था।