अगली तिमाही में इस्पात की जबरदस्त मांग दिखेगी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:21 AM IST

बीएस बातचीत
निर्यात एवं घरेलू बाजार से अधिक प्राप्तियों के बल पर जेएसडब्ल्यू स्टील ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान 5,900 करोड़ रुपये पर अपना सर्वाधिक तिमाही शुद्ध लाभ दर्ज किया है। जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी शेषगिरि राव ने ईशिता आयान दत्त से बातचीत में कहा कि उद्योग ढांचागत बदलाव के दौर से गुजर रहा है और वैश्विक स्तर पर मांग काफी मजबूत है। पेश हैं मुख्य अंश:
जेएसडब्ल्यू ने कम मात्रात्मक बिकी पर सबसे अधिक तिमाही मुनाफा दर्ज किया है। तिमाही आधार पर प्राप्तियों में वृद्धि कैसी रही?
मिश्रित आधार पर तिमाही दर तिमाही वृद्धि 19 फीसदी की रही। लेकिन वैश्विक बाजारों में यह काफी अधिक रही। अमेरिका में 30 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि यूरोप में 40 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। चीन में घरेलू कीमतों में 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई लेकिन निर्यात एफओबी कीमत में 14 फीसदी की वृद्धि हुई। इसलिए दुनिया भर में कीमतें बढ़ी हैं। उसी के अनुरूप भारतीय कीमतों में भी तेजी दर्ज की गई। लेकिन आयात लागत के मद्देनजर यह अब भी 17 फीसदी कम है।

कीमतों में तेजी कितना टिकाऊ है?
इस कैलेंडर वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान कच्च्चे इस्पात के वैश्विक उत्पादन में 12.6 करोड़ टन की वृद्धि हुई। इसके अलावा चीन ने 5.9 करोड़ टन अतिरिक्त उत्पादन किया जबकि शेष दुनिया में पिछली छमाही के मुकाबले 6.7 करोड़ टन अधिक उत्पादन हुआ। वैश्विक स्तर पर बाजार में बड़ी मात्रा में आपूर्ति हुई। इसके बावजूद पहली छमाही के दौरान अमेरिका और यूरोप में कीमतें 70 फीसदी बढ़ गईं जबकि चीन में कीमतों में 30 फीसदी का इजाफा हुआ। जुलाई में कुछ सुधार जरूर हुआ लेकिन पिछले एक सप्ताह के दौरान हम फिर तेजी देख रहे हैं। इससे पता चलता है कि मांग काफी मजबूत है। विभिन्न सरकारों द्वारा बुनियादी ढांचे में निवेश और ऊर्जा में बदलाव के कारण इस्पात की मांग को रफ्तार मिल रही है। आपको भारत में भी समान परिस्थिति दिखेगी। हम कोविड की दूसरी लहर के बाद इस्पात की मांग में सुधार को लेकर काफी आशान्वित हैं। आमतौर पर मॉनसून के कारण इस तिमाही में निर्माण कार्यों में नरमी रहती है। मैं समझता हूं कि अगली तिमाही में जबरदस्त मांग दिखेगी।

कंपनियों ने ऋण बोझ को हल्का करने के बाद क्षमता विस्तार पर काफी ध्यान दिया है। पिछले चक्र से क्या सीख मिली?
निवेश सावधानी से किया जा रहा है। इस बार पिछले चक्र की तरह निवेश नहीं हो रहा है। कंपनियां वृद्धि के लिए प्रतिबद्धता दिखाने से पहले दमदार वित्तीय स्थिति और बहीखाते की मजबूत को बनाए रखने पर ध्यान दे रही हैं।

क्या वैश्विक महामारी ने बड़ी कंपनियों को कहीं अधिक मजबूत बना दिया है। क्या इस्पात जैसे अत्यधिक पूंजी निवेश वाले क्षेत्र में छोटे और मध्यम कंपनियों के लिए जगह होगी?
भारतीय बाजार में प्राथमिक कंपनियां ज्यादातर फ्लैट श्रेणी में होती है जबकि मझोली कंपनियां लॉन्ग श्रेणी में। अमेरिका में हॉट-रोल्ड कॉइल (फ्लैट) और टीएमटी (लॉन्ग) के बीच का अंतर करीब 1,000 टन का है। चाहे विकसित बाजार हो अथवा विकासशील बाजार, फ्लैट और लॉन्ग इस्पात के मूल्य निर्धारण में काफी अंतर है। यहां तक ??कि इस चक्र में भी फ्लैट श्रेणी में तेजी दिखी है। द्वितीयक उत्पादक काफी हद तक लॉन्ग उत्पादों कमोडिटी-ग्रेड टीएमटी पर केंद्रित हैं। वे उस तरह की कमाई नहीं कर रहे जैसा प्राथमिक उत्पादक फ्लैट एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी उपस्थिति के कारण कमा रहे हैं।

क्या जेएसडब्ल्यू ओडिशा में खानों को लौटाने की संभावनाएं तलाश रही है?
लौटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। यदि नीलामी की गई तो हम अन्य खानों के लिए भी बोली लगाएंगे।

First Published : July 27, 2021 | 11:38 PM IST