सर्वोच्च न्यायालय ने 21,000 करोड़ रुपये की कर चोरी के मामले में बेंगलूरु की गेमिंग फर्म गेम्सक्राफ्ट के खिलाफ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नोटिस रद्द करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर आज रोक लगा दी।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस रोक के परिणामस्वरूप जीएसटी विभाग उन अन्य गेमिंग कंपनियों को भी कारण बताओ नोटिस भेज सकता है, जिन्हें उच्च न्यायालय के आदेश की वजह से रोका हुआ था।
सिंघानिया ऐंड कंपनी के प्रबंध साझेदार रोहित जैन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाए जोन को विभाग निश्चित रूप से अन्य गेमिंग कंपनियों को भी कारण बताओ नोटिस भेजने के अवसर के रूप में उपयोग करेगा। अदालत ने गेम्सक्राफ्ट को मामले में अपना जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है और जीएसटी के राजस्व खुफिया निदेशालय को प्रत्युत्तर दाखिल करने की अनुमति दी है।
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भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा का पीठ संभवत: तीन सप्ताह में मामले की सुनवाई करेगा। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में ऐसा काफी कुछ है, जिस पर विचार करने की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि चिंता मत कीजिए। तीन सप्ताह में कुछ नहीं होने वाला है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एन वेंकटरमन ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया कि गेम्सक्राफ्ट सर्विसेज सट्टेबाजी और जुए के अंतर्गत आती है, जिस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है।