अगर बेंगलूरु स्थित स्टार्टअप आईस्टेम का नया सेल थेरेपी उत्पाद आईसाइट-आरपीई क्लीनिकल परीक्षण पूरा कर लेता है, तो जल्द ही ड्राई एएमडी (ऐज-रिलेटेड मैक्युलर डिजेनरेशन), जो 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में असाध्य अंधेपन का सबसे बड़ा कारण होता है, के लिए यह उम्मीद की किरण साबित हो सकता है। वर्तमान में ड्राई एएमडी का कोई उपचार नहीं है।
आईस्टेम, जिसने हाल ही में तीन फार्मा फर्मों – एल्केम, नैटको और बायोलॉजिकल ई की अगुआई में सीरीज ए दौर में 51 करोड़ रुपये जुटाए हैं, अब अगले साल की पहली छमाही तक अपने प्रायोगिक नेत्र विज्ञान उत्पाद के लिए चरण 2ए/2बी का क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने पर विचार कर रही है।
ड्राई एएमडी के अलावा कंपनी रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा और इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लिए भी उपचार विकसित कर रही है। इसने रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा के लिए उत्पाद विकसित किया है, जो पांच वर्ष की आयु से बच्चों पर असर डालने लगता है और वे दृष्टि खोने लगते हैं (फोटो-रिसेप्टर्स को नुकसान के कारण) तथा वे 30 वर्ष की आयु तक पूरी तरह से अंधे हो जाते हैं।
आईस्टेम के संस्थापक जोगिन देसाई ने कहा कि हमने लैब में रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा के लिए उत्पाद विकसित किया है और हमारी योजना अगले साल जानवरों पर परीक्षण करने की है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए देसाई ने कहा कि वे इन परीक्षणों के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के साथ बातचीत कर रहे हैं। वे इस उत्पाद का वैश्विक स्तर पर व्यवसायीकरण करने के लिए विदेशों की कुछ बड़ी दवा कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। जहां तक भारत की बात है, तो इस संबंध में देसाई का कहना है कि मानव परीक्षण अगले साल की पहली छमाही में शुरू हो सकता है।