अमेरिकी सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक (Starlink) ने कहा है कि भारत के लिए इसकी सेवा की आधिकारिक कीमतें अभी जारी नहीं की गई हैं। सोमवार देर रात कंपनी ने स्पष्ट किया कि दिन के दौरान उसकी वेबसाइट पर जो मासिक दरें (₹8,600) और उपकरण लागत (₹34,000) दिखाई गईं, वे वास्तविक नहीं थीं और एक कॉन्फिग्रेशन गड़बड़ी की वजह से दिखीं थीं।
स्टारलिंक की बिजनेस ऑपरेशंस उपाध्यक्ष लॉरेन ड्रेयर ने X पर लिखा कि “स्टारलिंक इंडिया की वेबसाइट लाइव नहीं है, भारत में सेवा की कीमतें अभी घोषित नहीं की गई हैं और हम यहां ग्राहकों से ऑर्डर्स नहीं ले रहे हैं। एक कॉन्फिग गड़बड़ी के कारण अस्थायी टेस्ट डेटा दिखाई दे गया था, लेकिन वे कीमतें वास्तविक नहीं हैं। गड़बड़ी जल्दी ठीक कर दी गई।”
उन्होंने बताया कि टीमें अंतिम सरकारी मंजूरी प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही हैं ताकि सेवा और वेबसाइट चालू की जा सकें। कंपनी भारत में कई जगहों पर अर्थ स्टेशन बना रही है और स्थानीय संचालन के लिए अहम पदों पर नियुक्तियां कर रही है।
पड़ोसी देशों में मौजूदा दरों के अनुसार, बांग्लादेश में मासिक योजनाएं लगभग $40-50 (करीब ₹3,400-4,300) और उपकरण $300-400 (₹25,800-34,400) हैं, जबकि श्रीलंका में ये दरें अधिक हैं- मासिक $100-125 (₹8,600-10,750) और उपकरण $900-1,000 (₹77,400-86,000)। डाउनलोड स्पीड 190-360 Mbps के बीच बताई गई है।
इसी बीच, ईलॉन मस्क ने जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ से बातचीत में कहा कि स्टारलिंक घनी आबादी वाले शहरों के लिए नहीं, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के लिये अधिक उपयोगी होगा। उनका कहना था कि शहरों में सेल टावर करीब-करीब लगे होते हैं, लेकिन गांवों में ब्रॉडबैंड बिछाना महंगा और मुश्किल है, इसलिए स्टारलिंक को वहां ज्यादा फायदा होगा और वह मौजूदा दूरसंचार कंपनियों के लिये पूरक सेवा साबित होगा।
भारतीय टेलीकॉम कंपनियां इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ने की चिंता जाहिर कर रही हैं। उनका मानना है कि स्टारलिंक के आने से 5G और फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (FWA) की योजनाओं पर असर पड़ सकता है।
स्टारलिंक को वाणिज्यिक ऑपरेशनों के लिए भारतीय अंतरिक्ष नियामक से जुलाई में मंजूरी मिल चुकी है। कंपनी जियो-SES और भारती समर्थित Eutelsat OneWeb जैसी सेवाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी – जब वे भी वाणिज्यिक रूप से सेवाएं शुरू करेंगे।
तीनों कंपनियों को सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कीमत और आवंटन के फैसले का इंतज़ार है- यह मुद्दा दूरसंचार नियामक और दूरसंचार विभाग (DoT) के बीच सुरक्षा परीक्षण और ट्रायल्स के बाद चर्चा में है। स्टारलिंक को उपयोगकर्ताओं के टर्मिनल और उपग्रहों के बीच सिग्नल भेजने के लिए कई गेटवे अर्थ स्टेशन भी स्थापित करने होंगे। इसके अलावा, एयरटेल और जियो के साथ स्पेसएक्स के वितरण साझेदारी समझौते हैं, जिनसे ये कैरियर्स स्टारलिंक की सेवाएं अपने रिटेल नेटवर्क के माध्यम से बेच सकेंगे।