प्रीपैकेज्ड दिवालिया आवेदनों में धीमी प्रगति दर्ज की गई है। दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के आंकड़ों से पता चला है कि पिछले साल सितंबर तक मामलों की संख्या करीब दोगुना होकर 13 हो गई है, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि के दौरान स्वीकृत मामलों की संख्या 6 थी।
वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान 4 अप्रैल, 2021 को छोटी कंपनियों को ऋण चूक से बचाने में मदद करने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए प्री-पैकेज्ड ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया (पीपीआईआरपी) लागू की गई थी।
प्री-पैकेज्ड समाधान एक त्वरित प्रक्रिया है जो राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) में जाने से पहले कंपनियों के लिए एक समाधान योजना की पेशकश करती है। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके जरिये कंपनी का प्रवर्तक कंपनी को दिवालिया कार्यवाही से पहले लेनदारों को एक समाधान योजना का प्रस्ताव देता है। इस योजना का उद्देश्य न केवल समय पर और तेजी से समाधान तंत्र बनना है बल्कि बैंकों, प्रवर्तकों और खरीदार के बीच हुई सहमति को कानूनी मंजूरी भी देना है।
आईबीबीआई के आंकड़े दर्शाते हैं कि अब तक स्वीकृत 13 में से एक मामले को वापस लिया गया है और अमृत इंडिया लिमिटेड, सुदल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, श्री राजस्थान सिंटेक्स लिमिटेड, एन टी इंटरनैशनल लिमिटेड और जीसीसीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड प्रोजेक्ट्स लिमिटेड सहित पांच मामलों में समाधान योजना को मंजूरी दी गई है।
कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स के पार्टनर मनोज कुमार ने कहा, ‘प्रीपैकेज्ड योजना कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया जितनी सफल नहीं रही है क्योंकि बैंकर इसके प्रति बहुत सहज नहीं हैं। वे इसे एक कम विनियमित प्रक्रिया समझते हैं और सीआईआरपी से गुजरना बेहतर समझते हैं।’
सरकार भी अब प्रीपैकेज्ड योजनाओं को सिर्फ एमएसएमई तक ही नहीं बल्कि बड़ी कंपनियों तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। कुमार ने कहा, ‘एमएसएमई के मुकाबले बड़ी कंपनियां प्रीपैक योजना का लागू करने के लिए बाहरी एजेंसियों की मदद लेने की बेहतर स्थिति में हो सकती है।’
सीआईआरपी के तहत लेनदारों को स्वीकृत दावों के मुकाबले करीब 31 फीसदी की वसूली हुई है, जबकि प्रीपैकेज्ड योजना के तहत वसूली का हालिया आंकड़े उपलब्ध नहीं है। आईबीबीआई के अनुसार मई 2024 तक केवल 25 फीसदी स्वीकृत दावों की वसूली की गई थी।