facebookmetapixel
Delhi Weather Update: सावधान! दिल्ली-NCR में जहरीली हवा का कहर, IMD ने कोल्ड-वेव अलर्ट जारी कियाNowgam Blast: फरीदाबाद में जब्त विस्फोटकों के कारण श्रीनगर में पुलिस थाने में धमाका; 8 की मौत, 27 घायलDecoded: 8वें वेतन आयोग से कर्मचारी और पेंशनरों की जेब पर क्या असर?DPDP के नए नियमों से बढ़ी ‘कंसेंट मैनेजर्स’ की मांगसरकार ने नोटिफाई किए डिजिटल निजी डेटा संरक्षण नियम, कंपनियों को मिली 18 महीने की डेडलाइनबिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA 200 के पार, महागठबंधन की करारी हारबिहार की करारी हार से राजद-कांग्रेस के समक्ष अस्तित्व का संकट, मोदी बोले- पार्टी अब टूट की ओरबिहार में NDA की प्रचंड जीत से बैकफुट पर विपक्ष, चुनाव आयोग पर उठाए सवालNDA की जीत में पासवान, मांझी गठबंधन ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी: 10 बिंदुओं में बिहार चुनाव नतीजों के निष्कर्षबिहार में बंपर जीत के बाद बोले PM मोदी: पश्चिम बंगाल से भी ‘जंगलराज’ को उखाड़ फेंकेंगे

ऑटो क्षेत्र की मंद पड़ी रफ्तार

Last Updated- December 07, 2022 | 7:04 AM IST

पिछले कुछ महीनों में बढ़िया कारोबार का स्वाद चखने के बाद ऑटो उद्योग एक बार फिर मंदी के मोड़ पर खड़ा हो रहा है, वजह वाहनों के स्टॉक में बढ़ोतरी। इससे कंपनियों के साथ-साथ स्थानीय डीलरों पर भी दबाव बन रहा है।


हालांकि इस स्थिति से वाहन खरीददारों को मुनाफा हो सकता है, क्योंकि कंपनियां अपने वाहनों को बेचने के लिए खरीद पर नकद छूट या प्रमोशन योजनाएं जैसे की उपहार और वारंटी बढ़ाकर ग्राहकों को सुविधाएं दे रही है।

मुंबई के एक ऑटो विश्लेषक और डीलर के अनुसार तैयार कार के स्टोर में रहने की औसत अवधि फिलहाल 25 दिन है, जबकि दोपहिया वाहनों के लिए यह अवधि 20 से 25 दिन है। आमतौर पर कारों की यह अवधि 12 से 15 दिन और दोपहिया वाहनों के लिए 10 से 15 दिन होती है। स्टॉक का इस्तेमाल जबकि अंतिम उत्पाद से पहले वाली अवस्था के लिए किया जाता है, लेकिन यह अंतिम उत्पाद जो बिक्री के लिए तैयार है, उसके लिए भी इस्तेमाल हो रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय के लिए अंतिम उत्पाद के स्टॉक को अपने पास रखना कारोबार की नजर से बुरा होता है, क्योंकि इससे कीमतों में कमी आती है। एक ऑटो विशेषज्ञ का कहना है, ‘अगर मांग अधिक होती है तो निर्माता कंपनी और रिटेल बिक्री के बीच उत्पादों की आवक बिना किसी रुकावट के चलती है। यह सिर्फ लोकप्रिय मॉडलों में ही होता है।’

गौरतलब है कि मारुति की उद्योग जगत में सबसे कम स्टॉक की अवधि है, जबकि टाटा मोटर्स सबसे अधिक स्टॉक  अवधि वाली कंपनियों में शामिल है। टाटा मोटर्स ने हाल ही में बताया कि उसकी तैयार कारें लगभग 22 दिन तक स्टोरों में खड़ी रहती हैं। मुंबई की एक ब्रोकरेज फर्म  के विश्लेषक का कहना है, ‘जैसे जैसे उद्योग मंदी की तरफ बढ़ रहा है, हमें स्टॉक के स्तर में जबरदस्त तेजी देखने को मिलेगी।’

First Published - June 23, 2008 | 11:25 PM IST

संबंधित पोस्ट