सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और ऋजु रवींद्रन की उन अपीलों को खारिज कर दिया जिनमें बैजूस की पैतृक कंपनी थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई वापस लेने की मांग की गई थी।
राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने इस साल अप्रैल में बीसीसीआई और रिजु रवींद्रन की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था जिनमें एडटेक कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही रोकने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
एनसीएलएटी के फैसले में कहा गया कि थिंक ऐंड लर्न की दिवालिया प्रक्रिया को वापस लेने के आवेदन को लेनदारों की समिति (सीओसी) के 90 प्रतिशत सदस्यों की मंजूरी की आवश्यकता है। यह मामला थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (टीएलपीएल) और बीसीसीआई के बीच एक समझौते से जुड़ा है। बीसीसीआई ने जुलाई 2024 में स्पॉन्सरशिप बकाया को लेकर दिवालिया प्रक्रिया शुरू की थी।
एनसीएलएटी में दायर अपील के अनुसार बैजूस के प्रमोटरों ने अगस्त 2024 में बीसीसीआई से समझौता कर लिया था और पूरी निपटान राशि एस्क्रो में जमा कर दी थी। हालांकि, विदेशी ऋणदाता जीएलएएस ट्रस्ट कंपनी एलएलसी (जो लगभग 1.2 अरब डॉलर के ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है) ने इस निकासी को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया। बाद में अन्य ऋणदाताओं ने भी इस समझौते पर आपत्ति जताई। बैजूस और बीसीसीआई ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी।