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एसबीआई का कर-पूर्व लाभ बढ़ा

Last Updated- December 15, 2022 | 4:02 AM IST

देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का कर-पूर्व लाभ (पीबीटी) जून 2010 की तिमाही में 36.8 प्रतिशत बढ़कर 5,560 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। बैंक को अपनी बीमा सहायक इकाई में हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त एकमुश्त लाभ और मजबूत ब्याज आय से मदद मिली। वहीं समीक्षाधीन तिमाही के लिए बैंक का शुद्घ लाभ एक साल पहले की समान तिमाही के 2,312 करोड़ रुपये के मुकाबले  81.1 प्रतिशत बढ़कर 4,189 करोड़ रुपये हो गया।
शुद्घ ब्याज आय (एनआईआई) सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही के 22,938.7 करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में 16.1 प्रतिशत बढ़कर 26,641.5 करोड़ रुपये रही। हालांकि अन्य आय (शुल्क, कमीशन आदि) समान अवधि में 8,015.4 करोड़ रुपये से घटकर 7,957.4 करोड़ रुपये रह गई। बैंक ने वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में अपनी बीमा सहायक इकाई में हिस्सेदारी बिक्री से 1,539.7 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।
बैंक ने कहा है, ‘हालात अनिश्चित बने हुए हैं और बैंक मौजूदा आधार पर स्थिति का आकलन कर रहा है। बैंक के लिए बढ़ते कार्यशील पूंजी चक्र और घटते नकदी प्रवाह से बड़ी चुनौतियां पैदा होंगी। इन हालात के बावजूद बैंक की नकदी और मुनाफे पर बहुत बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।’
बैंक ने कोविड की वजह से 1,836 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान खर्च किया जिससे जून तिमाही तक कुल कोविड संबंधित प्रावधान बढ़कर 3,000 करोड़ रुपये हो गया। जून तक बैकों की ऋण बुक का 9.5 प्रतिशत हिस्सा मोरेटोरियम के दायरे में था, जबकि मार्च तिमाही में यह करीब 23 प्रतिशत था।
एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि हम सितंबर से भुगतान में सक्षम होंगे, लेकिन स्थिति पूरी तरह इस पर निर्भर करेगी कि परिदृश्य में किस तरह से सुधार आता है। लेकिन फिलहाल, बैंक द्वारा खातों की जांच से संकेत मिलता है कि कई खाते नकदी संरक्षण से जुड़े हुए हैं।’ मोरेटोरियम को 31 अगस्त से आगे बढ़ाने के मुद्दे पर कुमार ने कहा कि अगस्त के बाद मोरेटोरियम की जरूरत नहीं है। कुमार ने कहा, ‘इसे लेकर चर्चा चल रही है। इसे लेकर मैंने अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया है कि 31 अगस्त के बाद मोरेटोरियम की ज्यादा जरूरत नहीं है। और यह कई बैंकों और एनबीएफसी का भी मानना है।’
समीक्षाधीन तिमाही के दौरान बैंक की परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार आया। सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए) वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही के 7.53 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में 5.44 प्रतिशत रह गईं। मार्च 2020 के अंत में जीएनपीए 6.15 प्रतिशत था। जून 2020 में शुद्घ एनपीए जून 2019 के 3.07 प्रतिशतसे घटकर 1.86 प्रतिशत रह गया। मार्च 2020 में शुद्घ एनपीए 2.23 प्रतिशत पर था।
कुमार ने कहा, ‘यदि हालात बदतर होते हैं, जिसमें लंबे समय तक मंदी रहती है और रिकवरी में लंबा वक्त लगता है तो हम एनपीए में इजाफा देख सकते हैं। लेकिन बैंक का बहीखाता 2017-18 के मुकाबले काफी अलग है।’

First Published - August 1, 2020 | 1:32 AM IST

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