रेलिगेयर एंटरप्राइजेज (आरईएल) के शेयरधारकों द्वारा बाहर की गईं रश्मि सलूजा ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), जेएम फाइनैंशियल और कंपनी के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में नई याचिका दायर की है। इस याचिका में सलूजा ने बर्मन परिवार की खुली पेशकश प्रक्रिया को रद्द करने और खुली पेशकश के संबंध में सेबी द्वारा अपने पत्र में की गई टिप्पणियों को निष्प्रभावी करने की मांग की है।
सलूजा ने आरोप लगाया कि सेबी बतौर नियामक अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में विफल रहा है और 9 दिसंबर, 2024 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पारित आदेश को लागू करने में नाकाम रहा है। आरबीआई के आदेश में बर्मन की खुली पेशकश पर कुछ शर्तें लगाई गई थीं। सलूजा को याचिका में कार्यकारी अध्यक्ष बताया गया है।
इससे पहले उन्होंने सालाना आम बैठक में उनके स्थान पर किसी अन्य निदेशक को पुनः नियुक्त करने के प्रस्ताव के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत मांगी थी। उन्होंने दावा किया कि उन्हें रोटेशन के आधार पर रिटायर किए जाने की जरूरत नहीं है। हालांकि, अदालत ने प्रस्ताव पर कोई राहत नहीं दी, जिसके खिलाफ आरईएल के 97 प्रतिशत शेयरधारकों ने वोट दिया।
सलूजा का तर्क है कि खुली पेशकश के लिए आरबीआई की मंजूरी में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रस्तावित अधिग्रहणकर्ताओं के पास प्रबंधन में बदलाव या किसी प्रस्तावित निदेशक की नियुक्ति के लिए मंजूरी नहीं है। हालांकि, बर्मन के प्रस्ताव पत्र में कहा गया है कि खुली पेशकश के लंबित रहने के दौरान वे आरईएल के बोर्ड में निदेशकों की नियुक्ति का अधिकार सुरक्षित रखते हैं, जैसा कि याचिका में कहा गया है।