घरेलू सामान के विक्रेता विप्रेश शाह पिछले आठ दिनों से अपने खरीदार दुकानदारों को डेटॉल साबुन के एक पैक तक बेचने में विफल रहे हैं। जबकि ये ग्राहक उनके काफी पुराने हैं और वे करीब 14 साल पहले जब उन्होंने अपनी किशोरावस्था में पारिवारिक कारोबार को संभाला था तभी से उनसे खरीदारी करते रहे हैं।
शाह मुंबई से करीब 200 मीर दक्षिण में सांगली शहर के समीप वीटा में ब्रिटेन की कंपनी रेकिट बेंकिजर के आधिकारिक वितरक हैं। उन्होंने कहा कि कभी उनके वफादार ग्राहक भी अब ऑर्डर देने के बजाय अपने स्मार्टफोन के जरिये जियोमार्ट पार्टनर ऐप पर 15 फीसदी तक कम कीमतें दिखा रहे हैं।
शाह ने कहा, ‘रेकिट के वितरक के तौर पर मैं बाजार में कभी राजकुमार की तरह रहा करता था। लेकिन अब खरीदार हमें करते हैं कि देखें आप कितना काट रहे हैं।’
31 वर्षीय शाह ने कहा कि जियोमार्ट पर कीमतों के अनुरूप अपने उत्पादों पर छूट देने के कारण उन्हें 2,000 डॉलर अपनी जेब से गंवाने पड़े हैं। अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत में खुदरा वितरण में बदलाव को रफ्तार देने के लिए जियोमार्ट ऐप को उतारा है।
भारत में वीटा जैसे तमाम छोटी जगहों पर छोटी पड़ोस की दुकानों का करीब 900 अरब डॉलर के खुदरा बाजार में करीब 80 फीसदी हिस्सेदारी है। लेकिन जियोमार्ट द्वारा विदेशी एवं देसी ब्रांडों को तेजी से बढ़ावा दिए जाने के कारण उसमें तेजी से बदलाव हो रहा है।
भारत के सबसे अमीर व्यक्ति अंबानी ने जिस प्रकार देश के दूरसंचार उद्योग में उथल-पुथल मचा दिया था, उसी प्रकार अब वह अमेरिकी कंपनी एमेजॉन और वॉलमार्ट की तर्ज पर खुदरा क्षेत्र में उथल-पुथल मचाने की तैयारी कर रहे हैं। यही कारण है कि रिलायंस देश के खुदरा क्षेत्र में तेजी से अपनी पैठ बढ़ा रही है।
देश में लगभग 4,50,000 पारंपरिक वितरक हैं जिनके पास करीब 6 लाख गांवों के साथ देश के कोने-कोने तक वितरण सेवाएं प्रदान करने के लिए सेल्समैन उपलब्ध है। आमतौर पर वितरक को उत्पाद के मूल्य पर 3 से 5 फीसदी का मार्जिन मिलता है और अधिकांश ऑर्डर सप्ताह में एक बार भौतिक तौर पर लिया जाता है। उसके कुछ दिन बाद खुदरा विक्रेताओं को उत्पादों की डिलिवरी की जाती है।
लेकिन रिलायंस के मॉडल ने आपूर्ति शृंखला में व्यवधान पैदा कर दिया है। किराना स्टोर अब जियोमार्ट पार्टनर के जरिये माल के लिए ऑर्डर सीधे तौर पर दे सकते हैं और उसके महज 24 घंटे बाद डिलिवरी कर दी जाती है।
रिलायंस अपने पंजीकृत किराना ग्राहकों को ऑर्डर देने के लिए प्रशिक्षण की पेशकश के अलावा, उधारी की सुविधा और नमूने के तौर पर मुफ्त उत्पाद भी प्रदान करती है।
इसका मतलब साफ है कि रेकिट, यूनिलीवर, कोलगेट-पामोलिव आदि प्रमुख कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले लाखों विक्रेताओं के कारोबार पर खतरा मंडराने लगा है। देश भर के 20 वितरकों एवं व्यापारी समूहों के साथ खास बातचीत से यही नतीजा सामने आया है। उन्होंने कहा कि अब उनके व्यापार का अस्तित्व संकट में दिख रहा है।
रॉयटर्स द्वारा संपर्क किए गए कई वितरकों ने कहा कि उन्होंने अपने कर्मचारियों की संख्या घटा दी है अथवा बेड़े का आकार घटा दिया है। उन्होंने बताया कि दुकानदार अब रिलायंस के साथ जुड़ रहे हैं जिससे एजेंटों द्वारा घर-घर जाकर की जाने वाली बिक्री में 20 से 25 फीसदी की गिरावट आई है।
वीटा में शाह ने अपने चार कर्मचारियों को घटाकर आधा कर दिया है। उन्हें आशंका है कि 50 साल पुराना उनके पारिवारिक फर्म का सफर कहीं अगले छह महीनों में न खत्म हो जाए।
