ऑक्सीजन टैंकर खरीदेगी रिलायंस

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:31 AM IST

स्वास्थ्य क्षेत्र में ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के परिवहन की खातिर टैंकर खरीदने के लिए चार्ट ग्रुप की कंपनी वीआरवी एशिया पैसिफिक व अन्य कंपनियों से बातचीत कर रही है। वीआरवी के आला अधिकारी ने यह जानकारी दी। भारत कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है और पिछले कुछ दिनों से हर रोज संक्रमण के 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हो रहे हैं और कई राज्यों के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन व बिस्तरों की कमी देखी जा रही है।
वीआरवी के प्रबंध निदेशक जी एल रंगनेकर ने कहा, रिलायंस उस तरह का टैंकर हासिल कर सकती है जो 40,000 लीटर तक लिक्विड ऑक्सीजन का परिवहन कोविड सुविधा वाले केंद्रों व अस्पतालों तक कर सके। साथ ही कंपनी वीआरवी के साथ छोटे टैंक स्थापित करने की संभावना भी तलाश रही है। वीआरवी अपनी श्री सिटी इकाई (आंध्र प्रदेश) में क्रायोजेनिक इक्विपमेंट का डिजाइन बनाती है और उसका विनिर्माण करती है। यह देश की तीन कंपनियों में से एक है जो क्रायोजेनिक स्टोरेज टैंक आदि बनाती है।
रिलायंस के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। एक सूत्र ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कंपनी ऑन-साइट स्टोरेज के लिए बात कर रही है, लेकिन अभी इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
रंगनेकर ने कहा, आरआईएल के साथ हमारी बातचीत हो रही है। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के स्टोरेज के लिए वह स्टेशनरी टैंक लेगी और परिवहन के लिए ट्रेलर। हमने इस संबंध में विस्तृत जानकारी उसके साथ साझा की है। रिलायंस इसे कोविड के इलाज वाले बड़े केंद्रों में लगा सकती है, जहां हजारों मरीजोंं को ऑक्सीजन की दरकार होती है।
दिग्गज कंपनी बड़ा टैंक ले सकती है। मोटे तौर पर किसी साइट पर ऐसे टैंकों को लगाने में एक महीने से ज्यादा वक्त लगता है। इसलिए आपूर्ति में तेजी लाने के लिए वह वीआरवी के साथ छोटे पोर्टेबल टैंकों के लिए बातचीत कर रही है, जिसे अमेरिका में चार्ट (200 लीटर क्षमता) बनाती है और उसे कोविड केंद्रों में लगाना आसान है।
बड़े अस्पतालों को टैंकरों के जरिए ऑक्सीजन भेजा जाता है, जहां उसके भंडारण के लिए बनाई जगह पर रखा जाता है। छोटे अस्पतालों या नर्सिंग होम को सिलिंडरों के जरिए आपूर्ति होती है और इसकी भी कमी है। आवश्यक सिलिंडरों व टैंकरों की संख्या आदर्श तौर पर ऑक्सीजन की मांग की दोगुनी होनी चाहिए क्योंंकि खाली सिलिंडर, टैंकर को दोबारा भरने के लिए भेजना होता है। अगर अस्पताल खुद ही छोटे ऑक्सीजन प्लांट लगा लें तो ऐसी स्थिति के बचा जा सकता है।
इस बीच, चार्ट समूह की कंपनी (जो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए क्रायोजेनिक सिलिंडर, ट्रेलर आदि बनाती है) आईओसीएल संग भी बातचीत कर रही है और अस्पतालों व कोविड के इलाज वाले केंद्रों में ऑक्सीजन की कमी के बीच इसकी क्षमता में इजाफे के लिए बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, कंपनी हर महीने 100 से 150 क्रायोजेनिक सिलिंडर बनाती है और हमारे पास कुछ स्टॉक भी है। हम 24 घंटे काम कर रहे हैं। पिछले 10 दिनों में हमने विभिन्न अस्पतालों को 100-150 सिलिंडरों की आपूर्ति की है। रंगनेकर ने कहा, हम क्षमता बढ़ा रहे हैं और चार्ट के अमेरिकी संयंत्र से भी इसका आयात कर रहे हैं। 200-250 सिलिंडर आयात की प्रक्रिया में है। अगर जरूरी हुआ तो हम अमेरिका से विमानों के जरिए भी आयात करेंगे और हमारी मूल कंपनी भारत को लेकर प्रतिबद्ध है।
देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 551 डेडिकेटेड प्रेशर स्विंग एडॉर्रपशन (पीएसए) मेडिकल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाए जाएंगे ताकि कई राज्यों में कोविड के बढ़ते मामलों के बीच जीवन रक्षक गैस की उपलब्धता ठीक हो। रविवार को एक समाचार एजेंसी ने यह खबर जारी की है। रविवार को पीएमओ ने कहा कि पीएम केयर्स फंड ने सैद्धांतिक तौर पर इसकी स्थापना के लिए रकम आवंटन की मंजूरी दे दी है और जल्द से जल्द इन संयंत्रों को चालू करने की कोशिश की जाएगी।

First Published : April 25, 2021 | 11:41 PM IST