Real estate lending: कोरोना के बाद से रियल एस्टेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। इसका असर इस उद्योग के लिए ऋण की जरूरत पर पड रहा है। अगले तीन साल के दौरान इस उद्योग के लिए ऋण में 40 फीसदी इजाफा होने की संभावना है। इस उद्योग को मिलने वाले ऋण में बैंकिंग सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़ रही है, जबकि गैर बैंकिंग सेक्टर की हिस्सेदारी में बडी गिरावट देखने को मिली है।
रियल एस्टेट को 2026 तक कितने कर्ज की हो सकती है जरूरत?
संपत्ति सलाहकार फर्म जेएलएल इंडिया की “Decoding Debt Financing: Opportunities in Indian Real Estate.” शीर्षक वाली जेएलएल-प्रॉपस्टैक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रियल एस्टेट में 2024 से 2026 के बीच कुल ऋण बाजार में 14 लाख करोड़ रुपये (170 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के वित्तपोषण की संभावना है। इस ऋण की आवश्यकता मकान मालिक और बिल्डर दोनों को अपनी जरूरतों को जल्द पूरा करने के लिए होगी क्योंकि 2024 से 2026 की अवधि में रियल एस्टेट में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिल सकती है। बीते 6 साल यानी 2018 से 2023 के बीच करीब 10 लाख करोड रुपये का कर्ज रियल एस्टेट उद्योग को स्वीकृत हुआ था। इस उद्योग इस कर्ज की तुलना में अगले 3 साल में 40 फीसदी अधिक कर्ज की जरूरत हो सकती है।
आवासीय क्षेत्र को कितने कर्ज की दरकार?
जेएलएल की इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आवासीय बाजार में 2026 तक 4.30 लाख करोड़ रुपये के दीर्घकालिक ऋण की आवश्यकता होगी। इसके अलावा रियल एस्टेट के कंस्ट्रक्शन मार्केट में ग्रेड ए कमर्शियल ऑफिस, उच्च गुणवत्ता वाले मॉल, वेयरहाउसिंग पार्क और डेटा सेंटर में इस अवधि में 35 से 40 फीसदी वृद्धि के साथ 5.50 से 6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की आवश्यकता हो सकती है। जेएलएल इंडिया में कैपिटल मार्केट की वरिष्ठ प्रबंध निदेशक लता पिल्लई ने कहा कि रेरा, जीएसटी और REITs जैसे सुधारों ने रियल एस्टेट उद्योग में कर्ज दाताओं के लिए सुनहरे मौके पैदा किए हैं। पिछले साल इस क्षेत्र को कुल स्वीकृत कर्ज में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 68 फीसदी थी। हालांकि प्रमुख कर्जदाता छोटे बिल्डरों को ऋण देने में चुनौतियां पैदा करते हैं। जिससे नये ऋणदाताओं के लिए इस क्षेत्र में उतरने के लिए अवसर भी पैदा हो सकते हैं। प्रॉपस्टैक के सह-संस्थापक और निदेशक राजा सीतारमण (Seetharaman) ने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर में कोरोना पूर्व से लेकर कोरोना के बाद तक के युग में महत्वपूर्ण वृद्धि और परिवर्तन देखा गया है। यह क्षेत्र देश की जीडीपी के मौजूदा 7.23 फीसदी से बढ़कर 2030 तक करीब 14 फीसदी हो सकता है। ऐसे में इस सेक्टर में ऋणदाताओं के लिए काफी अवसर हैं।
तेजी से बढ़ रहा है lease rental discounting
कमर्शियल लीज रेंटल डिस्काउंटिंग (LRD) मार्केट के 2026 तक 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है और इसके आफिस सेगमेंट में एलआरडी के अगले 3 साल में 30 फीसदी बढ़ने की क्षमता है। इसके अलावा भौतिक खुदरा बाजार और अन्य किराये वाली संपत्तियों जैसे वेयरहाउसिंग, डेटा सेंटर और होटल लीज रेंट डिस्काउंटिंग (एलआरडी) सेगमेंट में भी उधारदाताओं के लिए पर्याप्त अवसर हैं। LRD एक टर्म लोन है जो किराए की रसीदों के बदले दिया जाता है। पिल्लई के मुताबिक LRD का कमर्शियल सेंगमेंट भी खूब तरक्की कर रहा है। इसकी कुल कर्ज में हिस्सेदारी 19 फीसदी रही और पिछले साल इसके लिए कर्ज में 25 फीसदी इजाफा हुआ।
रियल एस्टेट को कर्ज में बैंकिंग सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़ी
रियल एस्टेट सेक्टर को कर्ज की जरूरत बढ़ने के साथ ही इस सेक्टर को मिलने वाले कर्ज में बैंकिंग सेक्टर की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है। बीते 6 साल में इसकी हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। 2018 में रियल एस्टेट को कुल कर्ज में बैंकिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 39 फीसदी थी, जो 2023 में करीब 80 फीसदी बढ़कर 70 फीसदी हो गई। बैंकिंग सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़ने के साथ ही गैर बैंकिंग सेक्टर की हिस्सेदारी में कमी आई है। 2018 में इस सेक्टर की हिस्सेदारी 61 फीसदी थी, जो 2023 में आधी से भी अधिक घटकर 30 फीसदी रह गई।