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भारत का रियल एस्टेट मार्केट 2047 तक होगा 20 गुना बड़ा, टियर-2 और 3 शहर बनेंगे नए ग्रोथ हब

2047 तक इसके बढ़कर 5 से 10 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने की उम्मीद, मकानों की सालाना मांग बढ़ाकर 10 लाख और ऑफिस मांग 7 से 7.5 करोड़ वर्ग फुट हो सकती है

Last Updated- November 06, 2025 | 6:55 PM IST
Real Estate

Indian Real Estate Boom: भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र अगले दो दशकों में अभूतपूर्व विस्तार के लिए तैयार है। इसके अगले दो दशक के दौरान बहुत तेजी से बढ़ने की संभावना है और और यह 2047 तक अपने मौजूदा स्तर से 20 गुना तक बढ़ सकता है। इस अवधि में रियल एस्टेट क्षेत्र आवास, ऑफिस, इंडस्ट्रियल और वेयरहाउसिंग सभी क्षेत्र तेजी से बढ़ सकते हैं। टियर-2 और 3 शहर रियल एस्टेट के हॉटस्पॉट बनकर उभरने की संभावना है।

2047 तक कितना बड़ा होगा रियल एस्टेट मार्केट?

कॉलियर्स-सीआईआई की नई रिपोर्ट “Real Estate @2047: Building India’s Future Growth Corridors” के अनुसार भारतीय रियल एस्टेट मार्केट वर्तमान के लगभग 0. 3 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 5 से 10 ट्रिलियन डॉलर के बीच पहुंच सकता है। जाहिर है अगले दो दशक में यह क्षेत्र 20 गुना बढ़ने वाला है। इसके साथ ही 2047 तक रियल एस्टेट भारत की जीडीपी में 14 से 20 फीसदी तक योगदान दे सकता है।

भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की उप सचिव हरलीन कौर कहती हैं कि भारत का बुनियादी ढांचा विस्तार रियल एस्टेट परिदृश्य को नया आकार देकर टियर-2 और 3 शहरों का कायाकल्प कर रहा है।

कॉलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक बादल याग्निक कहते हैं कि ऑफिस, आवासीय और औद्योगिक एवं वेयरहाउसिंग जैसी प्रमुख परिसंपत्तियों में मांग में वृद्धि के अलावा हम डेटा सेंटर और साझा आवास जैसे वैकल्पिक परिसंपत्ति वर्गों में भी भारी वृद्धि की उम्मीद करते हैं।

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ऑफिस मार्केट का विस्तार रहेगा जारी

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का ऑफिस मार्केट निरंतर विस्तार के लिए तैयार है और अगले कुछ वर्षों में सालाना मांग 7 से 7.5 करोड़ वर्ग फुट पर स्थिर होने की उम्मीद है। ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताओं के अनुसार ग्रेड A स्टॉक 2030 तक 1 अरब वर्ग फुट को पार कर जाएगा और 2047 तक यह 2 अरब वर्ग फुट के आंकड़े को पार कर सकता है।

भारतीय ऑफिस मार्केट की परिपक्वता हाइब्रिड कार्य मॉडल और हब-एंड-स्पोक ऑफिस प्रारूपों के साथ-साथ उच्च-मूल्य नवाचार और डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) के उदय से चिह्नित होगी। आने वाले वर्षों में वार्षिक जीसीसी लीजिंग लगभग 3 से 4 करोड़ वर्ग फुट होने का अनुमान है, जो वार्षिक ग्रेड A ऑफिस मांग का 40-50 फीसदी होगा।

इसके अतिरिक्त कोयंबटूर, इंदौर, कोच्चि और भुवनेश्वर जैसे टियर-2 और 3 शहर प्रतिभाओं की उपलब्धता और बुनियादी ढांचे के उन्नयन के कारण व्यावसायिक केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। जो ऐसे छोटे शहरों में रहने वालों के लिए रियल एस्टेट पोर्टफोलियो को नया आकार देंगे और निकट भविष्य में भारत में कुल लीजिंग में इनका योगदान 20 से 25 फीसदी होगा।

बढ़ती जनसंख्या देगी आवासीय बाजार को गति

बढ़ती घरेलू आय व जनसंख्या और दूरदर्शी आवास नीतियों के समर्थन से भारत के आवासीय रियल एस्टेट बाजार में मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। साल 2030 तक मकानों की सालाना मांग 5 लाख तक पहुंच जाएगी, जबकि 2047 तक मकानों की सालाना मांग दोगुनी होकर 10 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। अगले कुछ दशकों में औसत आयु लगातार बढ़कर 30 से 40 वर्ष हो जाएगी और यह अधिकतम कमाई क्षमता के अनुरूप होगी।

इसलिए पहली बार घर खरीदने वालों की मांग बढ़ने की संभावना है। किफायती सेगमेंट के अलावा High-Net-Worth Individuals (HNIs) और अल्ट्रा-HNI के लिए लग्जरी आवास और विशिष्ट पेशकश, प्लॉटेड डेवलपमेंट, विला और स्वास्थ्य-उन्मुख रहने की जगहों के साथ-साथ लोकप्रिय होंगी। आध्यात्मिक केंद्रों सहित टियर 2 व 3 शहर तेजी से शहरीकरण और बुनियादी ढांचे के उन्नयन के बीच पहले से ही आवास बाजारों के रूप में उभर रहे हैं।

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ये क्षेत्र उच्च विकास के दौर में करेंगे प्रवेश

अगले कुछ वर्षों के दौरान औद्योगिक एवं वेयरहाउसिंग क्षेत्र में उल्लेखनीय गति आने की संभावना है और इनकी सालाना मांग 3 से 4 करोड़ वर्ग फुट रहने की उम्मीद है। ग्रेड ए स्टॉक के 2030 तक 0.5 अरब वर्ग फुट और 2047 तक 2 अरब वर्ग फुट से अधिक होने का अनुमान है। जिससे भारत का वेयरहाउसिंग परिदृश्य औद्योगिक गलियारों और लॉजिस्टिक्स पार्कों के विकास से समर्थित होकर अधिक स्मार्ट और हरित बन जाएगा। हम आने वाले वर्षों में माइक्रो-फुलफिलमेंट सेंटर, डार्क स्टोर और प्लग-एंड-प्ले सुविधाओं के लिए वेयरहाउसिंग आवश्यकताओं में भी वृद्धि की उम्मीद करते हैं। भारत का खुदरा क्षेत्र भी बढ़ते शहरीकरण और बेहतर होते उपभोग स्तर का लाभ उठाने के लिए तैयार है।

मॉल पहले से ही लाइफस्टाइल डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हो रहे हैं, जहां ब्रांड इमर्सिव स्टोर फॉर्मेट और ओमनीचैनल रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 2030 तक भारतीय शहरों में 1,000 से अधिक मॉल होंगे, जिनकी संख्या 2047 तक और बढ़कर 1,500 पार कर जाने की संभावना है। जयपुर, अहमदाबाद, कोच्चि, कोयंबटूर, भुवनेश्वर, गुवाहाटी आदि जैसे छोटे शहरों में खुदरा स्थान की मांग तुलनात्मक रूप से अधिक होगी। इसके अलावा, संस्थागतकरण और खुदरा आरईआईटी का उदय इस क्षेत्र को और अधिक औपचारिक बना देगा।

सीनियर सिटीजन व को-लिविंग इंवेंट्री कम से कम 10 गुना बढ़ेगी

भारतीय रियल एस्टेट की विकास गाथा में मुख्य परिसंपत्तियां केंद्रीय भूमिका में होंगी, लेकिन डेटा सेंटर, वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवास और को लिविंग जैसी वैकल्पिक परिसंपत्तियों में अपनी वर्तमान प्रारंभिक अवस्था के कारण आने वाले वर्षों में वृद्धि की अधिक संभावना है। भारत की डेटा सेंटर क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, जो नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन, एआई, क्लाउड और एज कंप्यूटिंग के बढ़ते उपयोग, 5G रोल आउट और हरित ऊर्जा एकीकरण के कारण 2030 तक लगभग 4.5 गीगावॉट और 2047 तक बढ़कर 10 गीगावॉट हो जाएगी।

अगले कुछ दशकों में सीनियर सिटीजन और को लिविंग क्षेत्रों में इन्वेंट्री कम से कम 10 गुना बढ़ने की संभावना है। कुल मिलाकर निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए नए बाजारों और वैकल्पिक रास्तों की तलाश जारी रखते हैं, जबकि जोखिम-समायोजित रिटर्न में वृद्धि होती है, इसलिए हम वैकल्पिक परिसंपत्ति वर्गों की ओर विदेशी और घरेलू पूंजी के आवंटन में वृद्धि देख सकते हैं।

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टियर-2 व 3 शहर रियल एस्टेट के हॉटस्पॉट बनकर उभरेंगे

कॉलियर्स-सीआईआई की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिगत पहलों, बुनियादी ढांचे के विकास और मांग कारकों का गुणक प्रभाव भारतीय रियल एस्टेट को गति प्रदान करेगा और 2047 तक इसे 5-10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार में बदल देगा, जो वर्तमान स्तर की तुलना में 20 गुना से भी अधिक वृद्धि है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण भारत में 2047 तक 10 लाख से अधिक आबादी वाले लगभग 100 शहर हो सकते हैं।

भारत के जनसांख्यिकीय पैटर्न के उपभोग स्तर में वृद्धि के अलावा बुनियादी ढांचे का विकास, डिजिटलीकरण, पर्यटन विकास और स्थिरता संबंधी प्राथमिकताएं कई शहरों और परिसंपत्ति वर्गों में रियल एस्टेट परिदृश्य को बेहतर बना सकती हैं। कई टियर-2 व 3 शहर विभिन्न क्षेत्रों में रियल एस्टेट गतिविधियों में तेजी लाने के लिए तैयार हैं। ये उभरते रियल एस्टेट हॉटस्पॉट आर्थिक केंद्रों के रूप में विकसित होंगे, जो 2047 में भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक संतुलित और समावेशी विकास को बढ़ावा देंगे।

First Published - November 6, 2025 | 6:49 PM IST

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