ई परियोजना में निवेश से पहले जांच लें डेवलपर की साख
साल 2024 के दौरान मकानों की कुल बिक्री में नई परियोजनाओं की हिस्सेदारी 40 फीसदी रही जो 2019 में महज 26 फीसदी थी।
Last Updated- June 03, 2025 | 11:07 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
मकान खरीदारों का रुझान रेडी-टु-मूव-इन यानी रहने के लिहाज से तैयार प्रॉपर्टी के बजाय हाल में शुरू की गई अथवा निर्माणाधीन परियोजना की ओर तेजी से बढ़ने लगा है। प्रॉपर्टी सलाहकार फर्म एनारॉक के अनुसार, साल 2024 के दौरान मकानों की कुल बिक्री में नई परियोजनाओं की हिस्सेदारी 40 फीसदी रही जो 2019 में महज 26 फीसदी थी।
तैयार प्रॉपर्टी
रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की स्थापना से पहले कई बाजारों में रातोरात काम बंद करने वाले डेवलपरों का बोलबाला था। एनारॉक ग्रुप के उपाध्यक्ष संतोष कुमार ने कहा, ‘वे परियोजनाओं की घोषणा करते थे लेकिन उनके पास परियोजनाओं को पूरा करने की क्षमता नहीं होती थी। ऐसे में कई परियोजनाएं अटक जाती थीं अथवा उनमें काफी देरी होती थी। इस प्रकार तमाम खरीदारों के पैसे फंस गए और उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। इससे ग्राहकों का भरोसा डगमगाने लगा और वे रहने के लिहाज से तैयार मकान तलाशने लगे।’
निर्माण में देरी के कारण मकान खरीदारों को मासिक किस्त (ईएमआई) और किराया एक साथ चुकाना पड़ता था। नाइट फ्रैंक इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक (अनुसंधान) विवेक राठी ने कहा, ‘ऐसे में तैयार प्रॉपर्टी उनके लिए एक सुरक्षित दांव बन गई।’
निर्माणाधीन प्रॉपर्टी
अब बाजार में बड़े एवं सूचीबद्ध डेवलपरों के बढ़ते वर्चस्व ने निर्माणाधीन परियोजनाओं में मकान खरीदारों का भरोसा बढ़ाया है। कुमार ने कहा, ‘इन डेवलपरों ने बाजार में अपनी प्रतिष्ठा अर्जित की है और खरीदार भी उनकी निष्पादन क्षमता पर भरोसा करते हैं।’
हाउसिंग डॉट कॉम के मुख्य राजस्व अधिकारी अमित मसलदान ने कहा कि रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की स्थापना जैसे नियामक सुधारों के जरिये जोखिम को कम करते हुए परियोजनाओं के समय पर पूरा होने में मकान खरीदारों का भरोसा बढ़ा है।
रेडी-टु-मूव मकानों का सीमित स्टॉक भी एक कारक है। एनसीआर की प्रॉपर्टी सलाहकार फर्म होमेंट्स के संस्थापक प्रदीप मिश्रा ने कहा, ‘साल 2023 की दूसरी तिमाही तक एनसीआर में रेडी-टु-मूव मकानों की इन्वेंट्री लगभग खत्म हो गई थी।’
जिन परियोजनाओं का निर्माण कार्य 2022 से 2024 के बीच शुरू हुआ था उन्हें 2026 से 2030 के बीच खरीदारों को सौंप दिया जाएगा। राठी ने कहा, ‘रेडी-टु-मूव मकानों की सीमित इन्वेंट्री के कारण संभावित मकान खरीदार निर्माणाधीन परियोजनाओं की ओर रुख कर सकते हैं।’
बढ़ती रेडी-टु-मूव मकानों की कीमत भी एक अहम कारक है। मिश्रा ने कहा, ‘साल 2022 के बाद रेडी-टु-मूव प्रॉपर्टी की कीमतें इतनी बढ़ गईं कि वे कई खरीदारों के बजट से बाहर हो गईं।’
निर्माणाधीन प्रॉपर्टी अपेक्षाकृत सस्ता विकल्प है। हाउसिंग डॉट कॉम के मुख्य राजस्व अधिकारी मसलदान ने कहा, ‘खरीदार कम दरों पर प्रॉपर्टी हासिल कर सकते हैं और कीमत बढ़ने का फायदा भी उठा सकते हैं।’
कोविड महामारी के बाद मकान खरीदार की प्राथमिकताएं बदली हैं। राठी ने कहा, ‘नई परियोजनाओं में आधुनिक डिजाइन और नई सुविधाओं एवं विशेषताओं का फायदा होता है।’ खरीदारों के पास लेआउट और फ्लोर चुनने का भी बेहतर विकल्प होता है जबकि रेडी-टु-मूव प्रॉपर्टी में खरीदारों के पास सीमित विकल्प होते हैं।
मिश्रा ने कहा कि हाल में शुरू की गई कई परियोजनाएं स्मार्ट होम की सुविधाएं प्रदान करती हैं। डेवलपर अलग-अलग किस्तों में भुगतान की योजनाएं उपलब्ध कराते हैं जो निवेशकों को आकर्षक लगती हैं। मिश्रा ने कहा, ‘वे 10 फीसदी भुगतान के साथ अपार्टमेंट बुक करते हैं और बाहर निकलने से पहले 20 से 35 फीसदी लागत का भुगतान करते हैं। बाजार में तेजी के कारण उन्हें अपार्टमेंट की कीमत में हुई वृद्धि का फायदा मिलता है।’ अंतिम उपयोगकर्ता भी इन योजनाओं को पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें रकम जमा करने के लिए समय मिलता है।
निर्माणाधीन प्रॉपर्टी में जोखिम
अगर डेवलपर छोटा है अथवा उसके पास वित्तीय स्थिरता नहीं है तो निर्माणाधीन प्रॉपर्टी जोखिम भरी हो सकती है। कुमार ने कहा, ‘खरीदारों को परियोजना में देरी और योजनाओं में बदलाव जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। डेवलपर के पास पूंजी की कमी भी हो सकती है।’
ऐसे में डेवलपर द्वारा किए गए वादे और वास्तविकता में अंतर दिख सकता है। खरीदारों को निर्माणाधीन प्रॉपर्टी पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान करना होगा। राठी ने कहा, ‘यह रेडी-टु-मूव प्रॉपर्टी अथवा उन प्रॉपर्टी पर लागू नहीं होता है जिन्हें ऑक्यूपेंसी प्रमाणपत्र मिल चुका है।’
बेहतर विकल्प चुनें
रेडी-टु-मूव प्रॉपर्टी में खरीदार को तत्काल कब्जा मिल जाता है, कीमत भी निश्चित होती है और निर्माण में देरी जैसी समस्या नहीं होती, मगर इसके लिए ग्राहकों को अपेक्षाकृत अधिक खर्च करने पड़ते हैं। रेडी-टु-मूव प्रॉपर्टी की इन्वेंट्री सीमित होती है और मूल्यवृद्धि की संभावना भी कम होती है। मसलदान ने कहा, ‘निर्माणाधीन प्रॉपर्टी अधिक किफायती है और उसमें न केवल भुगतान के विकल्प भी लचीले होते हैं बल्कि कीमत में उल्लेखनीय वृद्धि की गुंजाइश भी होती है। मगर ऐसी प्रॉपर्टी के लिए ग्राहकों को परियोजना में देरी, कीमत में उतार-चढ़ाव और गुणवत्ता जैसे जोखिमों का सामना करना पड़ता है।’
First Published - June 3, 2025 | 10:33 PM IST
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