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आरबीआई के फरमान से जी उठे रियल एस्टेट के अरमान

Last Updated- December 06, 2022 | 1:01 AM IST

मंदी के दौर से गुजर रहे और ज्यादा झटकों के खतरे से डरे हुए रियल एस्टेट कारोबारियों को भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक एवं ऋण नीति ने अचानक नई जिंदगी दे दी है।


घर के लिए कर्ज यानी होम लोन के मामले में 20 लाख के बजाय 30 लाख रुपये तक रिस्क वेटेज कम करने का आरबीआई का कदम इन कारोबारियों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया है। समूचा रियल एस्टेट उद्योग बैंक के इस फरमान से बेहद खुश है।


ब्याज दर की थी तलवार


दरअसल महंगाई के दौर में घर खरीदने वालों की तादाद पहले ही कम हो रही थी। उस पर कमरतोड़ महंगाई की वजह से आरबीआई के सख्त कदमों और उसकी वजह से होम लोन पर ब्याज दरों के बढ़ने की बात भी कही जा रही थी। इससे खास तौर पर बिल्डरों के पसीने छूट रहे थे क्योंकि ग्राहक उनके पास नहीं फटक रहे थे।


लेकिन अब तस्वीर बदलर् गई है। हीरानंदानी कंस्ट्रक्शंस के प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी कहते हैं, ‘आवासीय क्षेत्र के लिए यह एक बड़ी पहल है। इससे स्पष्ट होता है कि यह केंद्रीय बैंक इस क्षेत्र को अधिक प्राथमिकता दे रहा है।’


रिस्क वेटेज कम किए जाने का मतलब है कि बैंक अब 30 लाख रुपये तक के ऋण सस्ती दरों पर मुहैया कराने में सक्षम होंगे। पूर्व पॉलिसी के तहत 20 लाख रुपये तक के ऋणों पर यह अतिरिक्त छूट दी जाती है। 30 लाख रुपये से अधिक के होम लोन अब 150 प्रतिशत के रिस्क वेटेज के दायरे में शामिल होंगे।


संपत्ति कारोबार से जुड़ी कंपनियों का मानना है कि यदि घर खरीदने के लिए 30 लाख रुपये का होम लोन लिया जाता है तो घर की कीमत तकरीबन 36 लाख रुपये होगी।  ऑर्बिट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पुजित अग्रवाल ने कहा, ‘यह न सिर्फ दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों बल्कि मेट्रो शहरों में भी खरीदारों पर लागू होगा।’


सकारात्मक असर


प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म नाइट फ्रैंक के अध्यक्ष प्रणय वकील ने कहा कि मुंबई में नवी मुंबई, दहीसार और ठाणे जैसे इलाकों में इस पहल का सकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली एनसीआर, नोएडा और गुड़गांव से आगे के इलाकों में खरीददारी और अधिक आसान हो जाएगी। कुछ प्रमुख लोकेशनों को छोड़ कर बेंगलुरु के कई इलाकों में जमीन की कीमत लगभग 2400 रुपये प्रति वर्ग फुट के आसपास ही बनी हुई है।


इन संकेतों से यह स्पष्ट हो गया है कि आरबीआई घर खरीदने वालों की तरफ मदद का हाथ बढ़ा रहा है। वकील ने कहा, ‘आरबीआई की यह पहल उस वक्त सामने आई है जब बाजार के रुझान में कमी आई है। इससे स्पष्ट होता है कि इन क्षेत्रों में मंदी से सरकार अवगत है और इसके समाधान के लिए इच्छुक है।’


इस मामूली राहत ने इस उद्योग को अच्छे भविष्य की उम्मीद भी दी है क्योंकि पिछले दो वर्षों में की गई कई कदमों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। उदाहरण के लिए केंद्रीय बैंक ने विदेशी रियल एस्टेट फंड को मंजूरी देने में देर लगाई थी। इसका खामियाजा समूचे उद्योग ने भुगता था। इसके अलावा बिल्डरों को जमीन खरीदने के लिए ऋण लेने पर रोक लगाने को कहा गया था।

First Published - May 1, 2008 | 12:03 AM IST

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