भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) उपयोगकर्ता इनपुट के आधार पर संभावित बिना दावे वाली जमा राशि के लिए विभिन्न बैंकों में खोज सक्षम करने के वास्ते वेब पोर्टल विकसित कर रहा है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज यह जानकारी दी। ऐसे डेटा तक जमाकर्ताओं या उनके लाभार्थियों की पहुंच में सुधार और विस्तार करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा ‘हमें उम्मीद है कि यह पोर्टल तीन से चार महीने में तैयार हो जाएगा।’
केंद्रीय बैंक ने कहा कि जमाकर्ताओं की सुरक्षा प्रमुख उद्देश्य होने की वजह से आरबीआई यह सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय कर रहा है कि नई जमा राशि बिना दावे वाली न हों तथा मौजूदा बिना दावे वाली जमा राशि उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद सही मालिकों या लाभार्थियों को लौटा दी जाएं।
आम तौर पर बैंक अपनी वेबसाइट पर बिना दावे वाले खातों की सूची प्रदर्शित करते हैं, लेकिन नई वेबसाइट की परिकल्पना ऐसे डेटा तक जमाकर्ताओं की पहुंच बढ़ाने के लिए की गई है।
किसी बैंक में बिना दावे के छोड़ दी जाने वाली जमा राशि को 10 साल बाद डिपोजिटर एड्युकेशन ऐंड अवेयरनेस (डीईए) फंड में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जिसकी देखरेख भारतीय रिजर्व बैंक करता है।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 10 साल या उससे अधिक समय से संचालित नहीं की गई जमा राशि के संबंध में फरवरी 2023 के अंत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) द्वारा आरबीआई को हस्तांतरित की गई बिना दावे वाली कुल जमा राशि 35,012 करोड़ रुपये थी और बिना दावा वाले खातों की कुल संख्या 10.24 करोड़ थी।
वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री भागवत कराड द्वारा लोकसभा में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय स्टेट बैंक के पास 8,086 करोड़ रुपये की बिना दावे वाली सबसे अधिक राशि है। इसके बाद पंजाब नैशनल बैंक के पास 5,340 करोड़ रुपये, केनरा बैंक के पास 4,558 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ बड़ौदा के पास 3,904 करोड़ रुपये की बिना दावे वाली राशि है।