प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
कोलकाता की रामकृष्ण फोर्जिंग्स रेलवे के महत्त्वपूर्ण फोर्ज्ड व्हील की एकमात्र निजी क्षेत्र की विनिर्माता बनने की राह पर है। वह अब रेलवे श्रेणी में बड़ा कदम उठाने की योजना तैयार कर रही है। कंपनी का लक्ष्य साल 2030 तक अपने रेल राजस्व की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करना है। कंपनी के कार्यकारी निदेशक चैतन्य जालान ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह बताया है।
कंपनी चेन्नई में टीटागढ़ रेल सिस्टम्स के साथ संयुक्त उद्यम के तहत अपनी फोर्ज्ड व्हील इकाई लगा रही है। अब कंपनी भारत में उभरते हाई-स्पीड रेल क्षेत्र में अग्रणी बनने पर ध्यान देगी, जिसके लिए वह बोगी अंडरकैरिज डिजाइन करती है। जालान ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि 2030 के आसपास समेकित आधार पर हमारा रेलवे राजस्व भारतीय रेलवे के लगभग 20 प्रतिशत या उससे अधिक होगा। फिलहाल यह लगभग 6 प्रतिशत है।’
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फोर्ज्ड व्हील इकाई प्रति वर्ष 2,20,000 फोर्ज्ड व्हील बनाएगी। इसमें से राष्ट्रीय परिवहन यानी रेलवे की मांग लगभग 80,000 व्हील की होगी और शेष का निर्यात होगा। जालान को उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में इस इकाई का 90 प्रतिशत क्षमता उपयोग होने लगेगा जिससे कंपनी के राजस्व में लगभग 2,000 करोड़ रुपये का योगदान आएगा।
जालान ने कहा, ‘आज हमारे पास ऐसी आंतरिक टीम है जो भारतीय रेलवे के लिए समूची अंडरकैरिज, एलएचबी बोगियों और वंदे भारत बोगियों को डिजाइन तथा प्रमाणित करने में सक्षम है। आगे हम वैश्विक प्लेटफॉर्म के लिए हाई-स्पीड ट्रेनों के समूचे अंडरकैरिज के वास्ते समाधान उपलब्ध करने पर काम कर रहे हैं। इसलिए यही हमारी राह है और हमारा ध्यान इस क्षेत्र में पूरी तरह से अपना दबदबा बनाने पर है।’
जालान ने टैरिफ संकट के बीच अमेरिका की कमजोर मांग का हवाला देते हुए कहा कि कंपनी मुख्य रूप से वाहन पुर्जों की आपूर्तिकर्ता है और वह यूरोपीय वाहन और रेल क्षेत्र पर अधिक ध्यान दे रही है और अपनी निर्यात रणनीति को पुनर्गठित कर रही है।
रामकृष्ण फोर्जिंग्स ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 1,010 करोड़ रुपये का समेकित राजस्व दर्ज किया जो पिछले वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत की वृद्धि है।