सूचना प्रौद्योगिकी सेवा का निर्यात करने वाली देश की चौथी सबसे बड़ी कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स के अध्यक्ष बी. रामलिंग राजू ने बुधवार को इस्तीफा देकर पूरे उद्योग जगत, निवेशकों, सेबी, विश्लेषकों और सत्यम के वरिष्ठ प्रबंधकों को चकित कर दिया।
यही नहीं, उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि कंपनी के खातों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई है। इसके बाद कंपनी के प्रबंध निदेशक बी. रामा राजू ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
हालांकि दोनों तब तक अपने पद पर बने रहेंगे, जब तक मौजूदा बोर्ड का विस्तार नहीं हो जाता। रामालिंग राजू ने मायटास प्रकरण के संदर्भ में सत्यम के निदेशक बोर्ड को लिखे एक पत्र में हेरा-फेरी की बात मानी।
राजू के इस्तीफे का असर कंपनी के शेयरों पर पड़ा और बीएसई में कंपनी के शेयर का भाव 77.69 फीसदी लुढ़ककर 39.95 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया।
राजू के इस कदम से सरकार और बाजार नियामक सेबी भी सकते में हैं। हैदराबाद के मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जा सकती है।
वहीं कंपनी मामले के मंत्री प्रेमचंद गुप्ता ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (हैदराबाद) को सत्यम कंप्यूटर के मामले की जांच कर 14 जनवरी तक रिपोर्ट दायर करने को कहा है।
इस बीच, निवेश बैंकर डीएसपी मेरिल लिंच ने कहा कि सत्यम में हुई लेखा अनियमितता की जानकारी के बाद उसने साफ्टवेयर कंपनी को दी जाने वाली परामर्श सेवाएं खत्म कर दी हैं।
उल्लेखनीय है कि सत्यम ने डीएसपी मेरिल लिंच को साझेदार या खरीदार तलाशने का जिम्मा दिया था। सूत्रों का कहना है कि मेरिल लिंच ने मंगलवार को ही सत्यम के साथ अपने संबंध तोड़ने का निर्णय ले लिया था।
कंपनी मामलों के जानकार वकीलों का कहना है कि फर्जी दस्तावेज मामले में कंपनी कानून, 1956 के तहत राजू को दो साल तक की सजा हो सकती है, वहीं धारा 628 के तहत जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है।
वैसे, सरकार के पास यह अधिकार है कि शेयरधारकों के हित में वह कंपनी के बोर्ड को बर्खास्त कर नए निदेशकों की नियुक्ति कर सकती है।
बेहद भयानक
राजू द्वारा निदेशक मंडल के सामने स्वीकार की गईं गलतियां ‘बड़ी भयानक’ हैं। इस प्रकरण का बाजार पर गंभीर असर होगा। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि कंपनी के पास नकद बैलेंस था ही नहीं पर इसके होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।
इससे इस मामले से ऑडिट की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठता है। यह मामला कई विभागों के दायरे में आता है इसलिए हम संयुक्त कार्रवाई के लिए कंपनी मामले के मंत्रालय के संपर्क में हैं।
सी.बी.भावे, सेबी अध्यक्ष
कार्रवाई करेंगे
हम सत्यम के मामले में सेबी के संपर्क में हैं और इस मामले में सेबी के साथ मिलकर संयुक्त कार्रवाई की जाएगी। तथ्यों को देखने के बाद सत्यम का मामला गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) के पास भेजा जाएगा।
कंपनीज ऑफ रजिस्ट्रार को इस मामले की जांच कर 14 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। नरमी नहीं बरती जाएगी।
प्रेम चंद गुप्ता, कंपनी मामलों के मंत्री
कड़ी सजा मिले
सत्यम कंप्यूटर की घोखाधड़ी सामने आने के बावजूद भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों पर से विदेशी कंपनियों काभरोसा तो खत्म नहीं होगा ।
लेकिन विदेशी ग्राहक अब किसी कंपनी के साथ कोई सौदा करते समय उसकी परिसंपत्तियों और देनदारियों को ज्यादा गौर से देखेंगे। सत्यम के प्रबंधन द्वारा की गई धोखाधड़ी जानबूझकर की गई है। इसे दंडित किया जाना चाहिए।
टी.वी. मोहनदास पै, निदेशक, इन्फोसिस
हतप्रभ हैं हम
हम हतप्रभ हैं। लेकिन सत्यम का वरिष्ठ नेतृत्व ग्राहक, सहयोगी, आपूर्तिकर्ता और सभी शेयरधारक संयुक्त रूप से प्रतिबध्द हैं। हम इस आश्चर्यजनक खुलासे के बाद आगे बढ़ने की रणनीति तय करने के लिए हैदराबाद में इकट्ठे हुए हैं।
शेयरधारकों और कर्मचारियों के हित ही हमारी प्राथमिकता हैं। हम अगले दो हफ्तों में कई ग्राहकों से व्यक्तिगत तौर पर मिलेंगे।
राम मैनमपति, राजू के इस्तीफे के बाद मनोनीत सत्यम के अंतरिम मुख्य कार्याधिकारी