क्विपो ऑयल ऐंड गैस कंपनी अगले दो सालों में 2400 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही है।
कंपनी यह निवेश तटवर्ती रिग, तट से दूर खुदाई के स्थान तक माल पहुंचाने के लिए पोत और तट से दूर पाइपलाइन लादने के लिए नावों को खरीदने में करेगी।
अपने इस निवेश से कंपनी तेल और गैस सेवा क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाने की योजना बना रही है।
क्विपो ऑयल ऐंड गैस, बुनियादी ढांचों के लिए जरूरी किराए पर उपकरण मुहैया कराने वाली कंपनी क्विपो इन्फ्रास्टक्चर इक्विपमेंट की सहायक कंपनी है, जिसे एसआरईआई इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस का समर्थन हासिल है।
क्विपो ऑयल ऐंड गैस कंपनी ने हाल ही में दो तटवर्ती खुदाई करने वाले रिग और एक तट से दूर पाइपलाइन लादने की नाव खरीदी है।
हाल ही में कंपनी ने दिल्ली की कंपनी एमडीएल एनर्जी के साथ मिलकर एक 480 करोड़ रुपये की पाइपलाइन लादने के लिए नाव खरीदी है।
क्विपो ऑयल ऐंड गैस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदीप बेदी का कहना है, ‘2400 करोड़ रुपये में से बड़ा हिस्सा तट से दूर कारोबार के लिए खर्च किया जाएगा।
हम पाइपलाइन ढोने के लिए नाव को किराए पर देने वाली कई कंपनियों से इस मामले में बात कर रहे हैं।’
उथले पानी की पाइपलाइन ढोने वाली नाव, जिनमें अन्वेषण और उत्पादन प्लैटफॉर्म लगाने की भी क्षमता हो, को सबसे पहले मलेशिया में काम पर लगाया जाएगा।
कंपनी के सबसे पहले रिग ने 2005 में राजस्थान के बारमेड़ जिले में कैरिन इंडिया के तेल क्षेत्र में 11 कुओं की खुदाई की थी। इसके अलावा गुजरात में ओएनजीसी के कोल बेड मिथेन (सीबीएम) ब्लॉक में भी खुदाई का काम किया।
कंपनी के दूसरे रिग को राजस्थान में रिलायंस इंडस्ट्रीज के सीबीएम ब्लॉक के लिए काम पर लगाया गया।
2400 करोड़ रुपये के इस निवेश में से कंपनी 560 करोड़ रुपये 8 तटवर्ती रिग हासिल करने में लगाएगी। संदीप बेदी के अनुसार, ‘हमारे दो तटवर्ती रिग पहले से ही इस्तेमाल हो रहे हैं।
तीसरा अगले तीन से चार हफ्तों में पहुंच जाएगा और चौथा उसके बाद 2 से 4 हफ्तों में।’
आमतौर पर एक तटवर्ती रिग 68 से 72 करोड़ रुपये के बीच में आता है।
कंपनी की योजना तट से दूर खुदाई करने वाले रिग खरीदने की भी है, लेकिन संदीप बेदी के अनुसार, ‘हम इस क्षेत्र में हाथ आजमाने से पहले कुछ देर रुककर इस बारे में विचार करना चाहते हैं।’
दुनियाभर में रिग की कमी है और इसका असर भारत में भी महसूस हो रहा है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएनजीसी के तट से दूर के क्षेत्रों में खुदाई से जुड़े वादे भी इसी कमी के चलते देरी का सामना कर रहे हैं। तटवर्ती रिग में 8 महीने की इंतजार की अवधि की तुलना में तट से दूर रिग के लिए इंतजार की अवधि 5 साल है।
क्विपो 6 से 10 तट से दूर वाले पोत खरीदने की योजना बना रही है, जो देश के तट से दूरी वाले क्षेत्रों में विभिन्न अन्वेषण और उत्पादन परियोजनाओं पर काम करेंगे।
संदीप बेदी के अनुसार, ‘तट से दूर इस्तेमाल में आने वाले पोत भारत और दक्षिण-पूर्वी एशिया के लिए काम करेंगे।’
कंपनी मई से अक्तूबर के बीच जिन दिनों में भारत में तट से दूर काम रुक जाता है, उन दिनों में तट से दूर इस्तेमाल होने वाले अपने पोतों को दक्षिण-पूर्वी एशिया के लिए रवाना कर सकती है।
हालांकि क्विपो की योजना पश्चिमी एशिया और दक्षिणी अमेरिका में तटवर्ती खुदाई में इस्तेमाल होने वाली रिग को काम पर लगाने की है।