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दिवालिया समाधान वाली फर्मों के लिए सार्वजनिक शेयरधारिता में होगी नरमी

Last Updated- December 15, 2022 | 3:11 AM IST

बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को उन कंपनियों के लिए 25 फीसदी न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता में नरमी का प्रस्ताव किया, जो दिवालिया समाधान में हैं और दिवालिया प्रक्रिया के बाद दोबारा सूचीबद्ध होना चाहती हैं। इसके अलावा इन कंपनियों के लिए नियामक ने ज्यादा डिस्क्लोजर का भी प्रस्ताव किया है।
सेबी ने कहा कि यह संभव है कि समाधान योजना लागू करने से ऐसी कंपनियों में सार्वजनिक शेयरधारिता काफी ज्यादा घटकर निचले स्तर पर आ जाए। वास्तव में हाल के एक मामलों में देखा गया कि कॉरपोरेट दिवालिया समाधान के बाद उस कंपनी की सार्वजनिक शेयरधारिता घटकर 0.97 फीसदी रह गई और अतिरिक्त सतर्कता के बावजूद शेयर कीमतों में उसकी कीमतों में 8,764 फीसदी की उछाल आई। सेबी के मुताबिक, सार्वजनिक शेयरधारिता में इस तरह की कमी कई चिंता पैदा करती है, मसलन शेयर की उचित कीमत का सामने न आ पाना और उसमें सतर्कता में बढ़ोतरी की दरकार। सार्वजनिक शेयरधारिता कम होने से उस कंपनी में ज्यादा निवेशक  ट्रेडिंग नहीं कर पाते क्योंकि वहां शेयरों की मांग व आपूर्ति में काफी अंतर होता है।
इसे देखते हुए नियामक ने कॉरपोरेट दिवालिया समाधान वाली कंपनियों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधाकिता में बदलाव का प्रस्ताव किया है, जो मंजूर समाधान योजना लागू होने के बाद दोबारा सूचीबद्ध होने की इच्छा रखती है। नियामक ने इस संबंध में 18 सितंबर तक आम लोगों और मार्केट इंटरमीडियरीज से राय मांगी है।
सुझाव है कि दिवालिया समाधान के बाद न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियम के उल्लंघन के छह महीने के भीतर कम से कम 10 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता होनी चाहिए और तीन साल में 25 फीसदी। मौजूदा नियम के तहत अनिवार्य है कि अगर किसी कंपनी की सार्वजनिक शेयरधारिता 10 फीसदी से नीचे जाती है तो उसे 18 महीने के भीतर कम से कम 10 फीसदी पर लाना होगा और तीन साल के भीतर 25 फीसदी पर।
एक अन्य विकल्प यह है कि कंपनियोंं को दोबारा सूचीबद्धता के समय कम से कम 5 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता की अनिवार्य बनाया जा सकता है। ऐसी फर्र्मों को 10 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता के लिए 12 महीने और 25 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता के लिए उसके बाद के 24 महीने दिए जा सकते हैं।

एजीएम के लिए तीन महीने की मोहलत
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने उन कंपनियों को और समय दिए जाने की अनुमति प्रदान की है जो पूर्व की रियायती अवधि के बावजूद 31 मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के लिए अपनी सालाना आम बैठक  आयोजित नहीं कर सकीं। एक सरकारी सर्कुलर में कहा गया है कि हालांकि ऐसी कंपनियों से इसके लिए कंपनी पंजीयक के साथ आवेदन करने की जरूरत होगी। 17 अगस्त को जारी सर्कुलर में एमसीए  ने कंपनी पंजीयक को सलाह दी है कि वह ऐसे सभी आवेदनों पर उदारतापूर्वक विचार करे, जो हितधारकों की चिंताओं से जुड़े हुए हों। आरओसी इस संदभ में अधिकतम तीन महीने की अवधि तक का विस्तार दे सकती है। बीएस

First Published - August 20, 2020 | 12:15 AM IST

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