घरेलू दवा उद्योग ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से आग्रह किया है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान टीका अथवा कोविड उपचार की दवाओं के लिए अपनाई गई फास्ट-ट्रैक मंजूरी प्रक्रिया का विस्तार गैर-कोविड दवाओं तक भी किया जाए।
विभिन्न उद्योग सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है। बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए एक दवा उद्योग संगठन के प्रमुख ने कहा, ‘कोविड-19 के दौरान सीडीएससीओ ने रोगियों के उपचार के लिए तत्काल आवश्यक दवाओं और टीकों के लिए फास्ट-ट्रैक मंजूरी प्रक्रिया को अपनाया था। रेमडेसिविर अथवा फैविपिराविर जैसी दवाएं इसके उदाहरण हैं। उद्योग ने आग्रह किया है कि अब इस बेहतरीन प्रथा को गैर-कोविड दवाओं की मंजूरी के लिए भी औपचारिक तौर पर अपनाया जाए।’
उन्होंने कहा कि दवाओं की मंजूरी प्रक्रिया में आमतौर पर कई महीने लग जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत मुख्य तौर पर जेनेरिक दवाओं का बाजार है और इसलिए कंपनियां बायो-इक्विवैलेंस मार्ग से दवाओं के लिए मंजूरियां हासिल करती हैं। हालांकि अब नवाचार पर ध्यान केंद्रित किए जाने के कारण यह आवश्यक हो गया है कि हमारी मंजूरी प्रक्रिया को भी उपयुक्त बनाया जाए और उसे लक्ष्य से जोड़ा जाए।’ बायो-इक्विवैलेंस दो अथवा अधिक दवाओं की जैव-रसायनिक समानता को दर्शाता है जिनमें समान ऐक्टिव इनग्रेडिएंट्स और रोगियों के लिए अपेक्षित परिणाम होते हैं।
सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि वैश्विक महामारी के दौरान अपनाई गई बेहतरीन प्रथाओं को गैर-कोविड दवाओं के लिए भी अपनाने की योजना है। उन्होंने कहा, ‘हमने वैश्विक महामारी के दौरान दवओं और टीकों के लिए अपनाई गई फस्ट-ट्रैक मंजूरी प्रक्रियाओं की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। सुरक्षा एवं प्रभावकारिता से कोई समझौता किए बिना ऐसा किया गया है। इस प्रकार की समीक्षा प्रक्रिया लगातार चलती रहती है।’ उन्होंने कहा कि अब सीडीएससीओ से मंजूरी के लिए सभी दवाओं और टीकों के लिए उसे अपनाने का विचार है।
