सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि भविष्य की वैश्विक महामारियों की तैयारी के लिए उन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर खाली टीका विनिर्माण क्षमता तैयार करने की जरूरत है जहां बड़े पैमाने पर टिका उत्पादन की क्षमता नहीं है। मात्रा के लिहाज से टीका बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के सीईओ पूनावाला ने इंडियन ग्लोबल फोरम को संबोधित करते हुए यह बात कही।
पूनावाला ने कहा कि इसका मतलब किसी ऐसे देश अथवा क्षेत्र के साथ दीर्घकालिक अनुबंध करना है जहां टीका बनाने की क्षमता नहीं है। ऐसे में उन्हें प्राथमिकता देने और एक निश्चित मूल्य पर करार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘मान लीजिए कि आपने एक मामूली आरक्षण शुल्क के साथ किसी विनिर्माता से 15 वर्षों के लिए निष्क्रिय क्षमता का करार किया है तो महज एक बटन दबाने भर से वह पूरे क्षेत्र के लिए प्राथमिकता के आधार पर विनिर्माण कर सकता है।’ इस विनिर्माण केंद्र में विभिन्न प्रौद्योगिकी एवं उत्पादों को रखा जा सकता है।
पूनावाला ने इसे विस्तार से बताते हुए कहा कि मान लीजिए अगले पांच साल बाद कोई वैश्विक महामारी आती है और यदि कोई एमआरएनए अथवा वायरल वेक्टर टीका तैयार किया जाता है तो उसका विनिर्माण कहां करेंगे। इसके लिए फिर नए साझेदार तलाशने होंगे, क्षमता तैयार करनी होगी और मूल्य निर्धारण आदि पर बातचीत करनी पड़ेगी।
पूनावाला ने कहा कि इसके बजाय कोई देश अथवा क्षेत्र विनिर्माताओं के साथ लंबी अवधि (15 साल या इससे अधिक) के लिए निष्क्रिय क्षमता की बुकिंग करने का विकल्प चुन सकता है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘बहुत सारे देश ऐसा करने के लिए तैयार हैं।’ उन्होंने कहा कि देश अब अंतरिक्ष कार्यक्रम अथवा लड़ाकू विमान में निवेश करते हैं तो भविष्य के लिए खाली क्षमता निर्माण के लिए निवेश क्यों नहीं कर सकते। उनका मानना है कि वैश्विक स्तर पर ऐसे चार से पांच बड़े केंद्र बन सकते हैं।
पूनावाला ने कहा कि गुणवत्ता मानकों के मोर्चे पर वैश्विक सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘मैं वैश्विक नियामकों से एक सामान्य गुणवत्ता मानक पर आने का आग्रह करूंगा। इससे टीका प्रमाण पत्र, सीजीएमपी मानक और क्लीनिकल मानकों को मान्यता मिलेगी। हमारे पास अलग-अलग क्लीनिकल परीक्षण के लिए अलग-अलग लोग नहीं होंगे। यदि तैयारी करेंगे तो हम भविष्य की वैश्विक महामारियों से कहीं अधिक तेजी से निपट सकते हैं।’ इस बीच, पूनावाला का मानना है कि डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में कोवैक्स का भारत से निर्यात जल्द ही शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक कोवैक्स के लिए भारत से कई टीके आएंगे और न केवल सीरम इंस्टीट्यूट से बल्कि अन्य विनिर्माताओं की आरे से टीके आएंगे।
