बैंकिंग, वित्तीय और एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियों ने मंदी से आजिज आकर भारतीय प्रबंधन संस्थान से परिसर नियुक्तियों के लिए लगने वाली फीस को हटाने की मांग की है।
दरअसल आईआईएम के छात्रों की नियुक्ति के लिए परिसर में जाने वाली कंपनियों को संस्थान को एक निश्चित फीस चुकानी पड़ती है।
आईआईएम अहमदाबाद में प्लेसमेंट विभाग के को-ऑर्डिनेटर मिहिर लाल ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, ‘हम प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियों की सुविधा के लिए अपने प्लेसमेंट फीस के ढांचे में बदलाव करने के बारे में सोच रहे हैं।’
परिसर नियुक्तियों के दौरान आईआईएम दो स्तर पर फीस लेते हैं। इसमें भागीदारी और नियुक्तियों के लिए फीस ली जाती हैं। यह फीस इस पर भी निर्भर करती है कि कौन सी कं पनी किस नंबर पर नियुक्ति के लिए आ रही है।
उदाहरण के लिए आईआईएम-बेंगलुरु प्लेसमेंट के पहले दिन आने वाली कंपनी से 1 लाख रुपये भागीदारी और 1 लाख रुपये नियुक्ति फीस लेता है ।
हालांकि दिन बढ़ने के साथ ही फीस घटती जाती है। जैसे नियुक्तियों के तीसरे दिन संस्थान सिर्फ 1 लाख रुपये नियुक्ति फीस ही लेता है।
आईआईएम बेंगलुरु ने भी कंपनियों की ओर से इस तरह की मांग आने की पुष्टि की है। संस्थान अपने निदेशक मंडल की बैठक में इस बात पर विचार करेगा।
आईआइएम बेंगलुरु में प्लेसमेंट विभाग के चेयरमैन प्रोफेसर सौरव मुखर्जी ने बताया, ‘हम इस बात को समझते हैं कि इस समय कंपनियों के लिए काफी बुरे हालात हैं। लेकिन हम भी पूरी तरह से इस फीस को माफ नहीं कर सकते हैं। यह मांग बिल्कुल अव्यावहारिक है।’
भारतीय प्रबंधन संस्थानों का कहना है कि इस फीस को पूरी तरह से समाप्त करना बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है। दरअसल, संस्थानों को होने वाली कमाई में इसकी हिस्सेदारी 5 फीसदी होती है। इससे होने वाली कमाई का इस्तेमाल परिसर पर होने वाले खर्च में किया जाता है।
आईआईएम-अहमदाबाद को इस फीस से सालाना लगभग 2 करोड़ रुपये की कमाई होती है। जबकि बाकी प्रबंधन संस्थानों के लिए यह आंकड़ा 50-80 लाख रुपये के बीच है।