प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय पीईटी रेजिन वैंकाई न्यू मैटेरियल्स (चीन की फर्म) जैसी प्रमुख निर्यातकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की मांग के साथ डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (डीजीटीआर) से संपर्क किया है।
फोरम ऑफ पीईटी मैन्युफैक्चरर्स (एफओपीएम) का कहना है कि घरेलू कंपनियों का आरोप है कि वैंकाई जैसी चीनी फर्में ‘अनुचित व्यापार व्यवहार’ में लिप्त हैं। उनका दावा है कि उनकी इन कार्य प्रणालियों की वजह से सरकार को राजस्व नुकसान हो रहा है और घरेलू उद्योग की संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं।
यह तब हो रहा है जब अप्रैल 2021 से एंटी-डंपिंग ड्यूटी (एडीडी) लागू है और सरकार ने नवंबर 2024 से वैंकाई पर 25 डॉलर प्रति टन का अतिरिक्त एंटी-एब्जॉर्प्शन शुल्क लगाया है। एफओपीएम के अनुसार चीनी कंपनी अपनी निर्यात इकाई का दुरुपयोग कर रही है और अन्य चीनी निर्माताओं के उत्पादों को वैंकाई के उत्पाद के रूप में दिखा कर डंप कर रही है। वैंकाई ने इस संबंध में पूछे गए बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया है।
बताया जाता है कि वैंकाई न्यू मटेरियल्स के पास भारत के कुल पीईटी रेजिन आयात में 87 प्रतिशत भागीदारी है। चिरीपाल पॉलीफिल्म्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमंत सिंघल ने कहा, ‘चीन के मैटेरियल डंप करने से हमें अपने संयंत्रों में क्षमता कम करनी होगी क्योंकि सप्लाई की दर लगभग हमारी कच्चे माल की दर जितनी है। वैंकाई मैटेरियल के रूप में आयात की गलत घोषणा करके एडीडी से बचने का भी एक मामला है क्योंकि कोई भी चीनी सप्लायर इस नाम का उपयोग कर सकता है और सामान की आपूर्ति कर सकता है।’
घरेलू उद्योग की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अप्रैल 2021 में भारत ने पहली बार पीईटी रेजिन के चीनी आयात पर एंटी-डम्पिंग शुल्क लगाया था।