इस साल के अंत में आईपीओ लाने की तैयारी में जुटी डिजिटल भुगतान कंपनी पेटीएम महज एक पेमेंट वॉलेट के दर्जे के साथ साथ एक वित्तीय सेवा प्रदाता के तौर पर भी अपनी खास पहचान बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। कंपनी अपना नुकसान घटाने की दिशा में भी कार्य कर रही है।
अपने कई प्रतिस्पर्धियों के विपरीत, पेटीएम ने अपने व्यवसायी भुगतान तंत्र का विस्तार करना शुरू किया है। कंपनी ने महसूस किया है कि हालांकि वह यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन की अधिकतम भागीदारी हासिल करने के लिए हमेशा प्रयासरत रह सकती है, लेकिन राजस्व सृजन के मोर्चे पर इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बन्र्सटीन के विश्लेषकों गौतम चुगलानी और मानस अग्रवाल के अनुसार, पेटीएम का पीर-टु-मर्चेंट पेमेंट कारोबार पिछले तीन वर्षों के दौरान 67 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ा है और अभी यह करीब 52 अरब डॉलर के पी2एम लेनदेन का प्रबंधन करता है। इसका असर राजस्व के आंकड़ों पर दिखना अभी बाकी है। पेटीएम की पैतृक कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, पेटीएम 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में अपना नुकसान 42 प्रतिशत तक घटाकर 1,701 करोड़ रुपये पर सीमित करने में कामयाब रही, जबकि परिचालन से उसका राजस्व वर्ष के दौरान 14.5 प्रतिशत घटकर 2,802.41 करोड़ रुपये रह गया। इस बारे में रिपोर्ट कंपनी पंजीयक को पेश की जानी बाकी है।
बन्र्सटीन के विश्लेषकों गौतम चुगलानी और मानस अग्रवाल ने पिछले महीने पेटीम के बारे में आईपीओ-पूर्व रिपोर्ट में कहा, ‘हमारा मानना है कि वृद्घि का अगला चरण वित्तीय सेवाओं, खासकर उपभोक्ताओं और व्यवसायियों को क्रेडिट टेक उत्पादों की आसान पहुंच पर केंद्रित होगा। बढ़ते वित्तीय अनुशासन के साथ पेटीएम 12-18 महीने में भरपाई के स्तर पर पहुंचने की संभावना देख रही है।’ बन्र्सटीन के अनुसार, कंपनी ने करीब 35 करोड़, 5 करोड़ सक्रिय उपयोगकर्ताओं, और 2 करोड़ से ज्यादा का व्यवसायी आधार तैयार किया है, जबकि उसके पेमेंट बैंक से अब तक करीब 6 करोड़ खाते जुड़ चुके हैं।