विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि देश में केवल कुछ ही विमानन कंपनियां रह गई हैं (किफायती विमानन कंपनियों के रूप में), इंडिगो और हम। साथ ही उसने इस बात पर भी जोर दिया कि वह भारत में चुनौतीपूर्ण माहौल के बीच सक्रिय बनी रहने के लिए संघर्ष कर रही है।
दिल्ली उच्च न्यायालय का यह खंडपीठ फ्रांस की कंपनियों – टीम फ्रांस 01 एसएएस और सनबर्ड फ्रांस 02 एसएएस से किराये पर लिए गए तीन इंजनों के मामले में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ स्पाइसजेट की अपील पर सुनवाई कर रहा था। नकदी की कमी से जूझ रही विमानन कंपनी ने अदालत को बताया कि वह 30 सितंबर तक 10 लाख डॉलर की मासिक किस्त के साथ-साथ 16 लाख डॉलर का अतिरिक्त भुगतान भी करेगी।
विमानन कंपनी के वकील ने कहा कि 12 अगस्त तक बकाया राशि के लिए 26.7 लाख डॉलर की चूक मानी गई है और बकाया राशि का भुगतान करने के लिए 30 सितंबर तक समय बढ़ाने की मांग की गई। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी योजना 35.7 करोड़ डॉलर की राशि जुटाने की है।
इंजन किराये पर देने वाली कंपनियों ने दिसंबर में स्पाइसजेट के खिलाफ मुकदमा दायर किया था औ इंजनों के लिए दो करोड़ डॉलर से अधिक का बकाया मांगा था। हालांकि अदालत ने विमानन कंपनी को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर उनके पास भुगतान करने के लिए वित्तीय साधन होते, तो विमानन कंपनी अदालत में अपना बचाव नहीं कर रही होती।
अदालत ने कहा ‘आप किसी और की संपत्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं और आप किराया चुकाए बिना इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। वह (इंजन किराय पर देने वाली कंपनी) उस संपत्ति को किराये पर देने वाले कारोबार में है, भले ही वह आज इंजन हो या घर। कौन सी अदालत आपको भुगतान किए बिना संपत्ति का इस्तेमाल करने की अनुमति देती है?’