तेल-गैस

भारतीय रिफाइनरियों में निवेश की सोच रही सऊदी अरामको

दुनिया की अग्रणी तेल निर्यातक विश्व में सबसे तेजी से बढ़ते उभरते बाजार में अपने कच्चे तेल के लिए एक स्थिर आउटलेट की तलाश कर रही है।

Published by
एजेंसियां   
Last Updated- March 27, 2025 | 10:53 PM IST

सऊदी अरामको भारत की दो नियोजित रिफाइनरियों में निवेश के लिए बातचीत कर रही है। दुनिया की अग्रणी तेल निर्यातक विश्व में सबसे तेजी से बढ़ते उभरते बाजार में अपने कच्चे तेल के लिए एक स्थिर आउटलेट की तलाश कर रही है। इसके जानकार कई भारतीय सूत्रों ने यह बात बताई।

विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश भारत वैश्विक रिफाइनिंग का केंद्र बनना चाहता है क्योंकि पश्चिमी कंपनियां स्वच्छ ईंधन का रुख कर रही हैं और कच्चे तेल की प्रसंस्करण क्षमता में कमी कर रही हैं। इस बीच, भारत के तेल आयात में सऊदी अरब की हिस्सेदारी में कमी आई है क्योंकि रिफाइनरी कंपनियों ने अपने संयंत्रों को उन्नत बनाने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया है और इस तरह रूस जैसे सस्ते विकल्पों का उपयोग करने के लिए कच्चे तेल के स्रोतों में विविधता शामिल की है।

इस बारे में अरामको, बीपीसीएल और ओएनजीसी ने कोई टिप्पणी नहीं की। दोनों भारतीय कंपनियां सरकार के स्वामित्व वाली हैं। ओएनजीसी की गुजरात रिफाइनरी योजना अभी शुरुआती अवस्था में है। बीपीसीएल के चेयरमैन ने दिसंबर में कहा था कि उनका लक्ष्य आंध्र प्रदेश रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना में 11 अरब डॉलर निवेश करने का है।

दो रिफाइनरी सूत्रों ने कहा कि परियोजनाएं योजना के मुताबिक आगे बढ़ेंगी चाहे अरामको निवेश करे या न करे। उन्होंने कहा, सारी चीजें अरामको के प्रस्ताव पर निर्भर करेंगी। सूत्रों ने बताया कि सरकारी नियंत्रण वाली अरामको का परियोजना में अपनी हिस्सेदारी के तीन गुना के बराबर तेल की आपूर्ति करने का प्रस्ताव है और वह उत्पादन का अपना हिस्सा या तो भारत में या निर्यात के माध्यम से बेचना चाहती है।

दूसरे रिफाइनरी सूत्र ने कहा, हम कच्चे तेल की खरीद में लचीलापन चाहते हैं। अगर हम उन्हें 30 फीसदी हिस्सेदारी देते हैं तो वे 90 फीसदी क्षमता के बराबर कच्चे तेल की आपूर्ति करना चाहेंगे, जो संभव नहीं है।

First Published : March 27, 2025 | 10:44 PM IST