प्रतीकात्मक तस्वीर
रूस की प्रमुख तेल कंपनी पीजेएससी रोसनेफ्ट ऑयल कंपनी (Rosneft Oil Company) भारत की निजी रिफाइनरी कंपनी नयारा एनर्जी (Nayara Energy) में अपनी 49.13% हिस्सेदारी बेचने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Ltd – RIL) से शुरुआती बातचीत कर रही है। सूत्रों के अनुसार, यदि यह डील होती है, तो रिलायंस, भारत की सबसे बड़ी सरकारी रिफाइनिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) को पछाड़कर देश की नंबर-1 रिफाइनिंग कंपनी बन सकती है और पेट्रोल-डीजल विपणन (fuel marketing) क्षेत्र में भी बड़ी हिस्सेदारी पा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, रोसनेफ्ट पर लगे पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों (Western Sanctions) के कारण वह भारत में अपने व्यापार से होने वाली पूरी कमाई को रूस में वापस नहीं ले जा पा रही है। ऐसे में वह नयारा से बाहर निकलने की तैयारी में है और संभावित खरीदारों की तलाश कर रही है।
नयारा एनर्जी, पहले एस्सार ऑयल (Essar Oil) के नाम से जानी जाती थी, जिसे 2017 में रोसनेफ्ट ने $12.9 बिलियन में खरीदा था। यह कंपनी गुजरात के वाडिनार (Vadinar) में सालाना 2 करोड़ टन क्षमता वाली रिफाइनरी चलाती है और देशभर में 6,750 पेट्रोल पंप संचालित करती है।
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रोसनेफ्ट और इसकी सहयोगी यूसीपी इनवेस्टमेंट ग्रुप (UCP Investment Group), जो नयारा में 24.5% हिस्सेदारी रखती है, ने अपनी हिस्सेदारी के लिए रिलायंस, अडानी समूह (Adani Group), सऊदी अरामको (Saudi Aramco) और सरकारी कंपनियों ओएनजीसी (ONGC)/IOC से संपर्क किया था।
हालांकि, रोसनेफ्ट द्वारा नयारा के लिए मांगी गई $20 बिलियन की वैल्यूएशन को कई संभावित निवेशकों ने बहुत अधिक बताया और इस कारण सौदा फंसा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, अडानी समूह ने तेल रिफाइनिंग को “सनसेट बिजनेस” यानी भविष्य में खत्म होने वाला उद्योग मानते हुए निवेश से इनकार कर दिया। इसके अलावा, अडानी की फ्रेंच एनर्जी कंपनी टोटल एनर्जीज़ (Total Energies) के साथ गैस और रिन्यूएबल एनर्जी में भागीदारी है, जिसमें उन्होंने जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) में सीमित निवेश की शर्त स्वीकार की है।
सऊदी अरामको, जो दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी है, भारत में डाउनस्ट्रीम बिजनेस (रिफाइनिंग और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री) में आने की पुरानी योजना बना रही है। उसने 2019 में रिलायंस के O2C (Oil-to-Chemical) बिजनेस में 20% हिस्सेदारी खरीदने का समझौता किया था, लेकिन वह डील मूल्यांकन विवाद (valuation issues) के चलते 2021 में टूट गई थी। अरामको भी नयारा की वैल्यूएशन को ज्यादा मान रही है।
रिलायंस के पास गुजरात के जामनगर में 68.2 मिलियन टन/वर्ष की क्षमता वाली दो रिफाइनरियां हैं। यदि वह नयारा की 20 मिलियन टन रिफाइनरी को अपने नियंत्रण में ले लेता है, तो उसकी कुल क्षमता IOC की 80.8 मिलियन टन/वर्ष क्षमता से अधिक हो जाएगी। इसके अलावा, नयारा के 6,750 पेट्रोल पंप रिलायंस को पेट्रोलियम मार्केटिंग में बड़ी उपस्थिति देंगे। फिलहाल रिलायंस के पास केवल 1,972 पेट्रोल पंप हैं।
सूत्रों के मुताबिक, रिलायंस और रोसनेफ्ट के बीच बातचीत शुरुआती दौर में है और अभी तक कोई औपचारिक प्रस्ताव (formal deal) नहीं आया है। रोसनेफ्ट ने वैल्यूएशन घटाकर $17 बिलियन कर दी है, लेकिन यह अब भी संभावित खरीदारों को अधिक लग रही है। रिलायंस ने आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं की है, सिर्फ इतना कहा है कि “कंपनी समय-समय पर अवसरों का मूल्यांकन करती रहती है।”
एक वरिष्ठ उद्योग अधिकारी के अनुसार, “केवल रिफाइनिंग से लाभ नहीं होता, जब तक आपके पास मार्केटिंग नेटवर्क न हो। पेट्रोल पंप से मुनाफा आता है।” ONGC और IOC जैसे सरकारी उपक्रमों के अनुसार, एक पेट्रोल पंप की कीमत ₹3 से ₹3.5 करोड़ होनी चाहिए, जिससे कुल मार्केटिंग नेटवर्क की वैल्यू $2.5-3 बिलियन से अधिक नहीं मानी जाती। रिफाइनरी की वैल्यू भी लगभग इतनी ही मानी जा रही है।
लेकिन रिलायंस के लिए, एक पेट्रोल पंप की वैल्यू ₹7 करोड़ तक मानी जा रही है, जो कि करीब $5.5 बिलियन होती है। इसके साथ, रिफाइनरी और भविष्य की पेट्रोकेमिकल इकाई (planned petchem unit) की कीमत मिलाकर कुल वैल्यू $10-11 बिलियन तक मानी जा सकती है।
यदि यह डील होती है, तो यह भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में सबसे बड़ी अधिग्रहणों में से एक होगी। रिलायंस के लिए यह न केवल उसकी रिफाइनिंग क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि उसे पेट्रोल-डीजल की खुदरा बिक्री में भी बड़ा खिलाड़ी बना सकती है। हालांकि, सौदा कई वित्तीय और भू-राजनीतिक चुनौतियों से घिरा है और आगे क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।