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PNGRB अधिनियम में संशोधन की तैयारी, शहरी गैस वितरकों को मिलेगी मदद; कंपनियों ने कहा- पड़ेगा प्रतिकूल असर

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (PNGRB) अधिनियम, 2006 में संशोधन से PNGRB को नए ईंधन जैसे बॉयोगैस और हरित हाइड्रोजन से निपटने में भी व्यापक तौर पर मदद मिलेगी।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- March 31, 2024 | 10:44 PM IST

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (PNGRB) अधिनियम, 2006 में संशोधन आम चुनाव के बाद होने की उम्मीद है। इस मामले के जानकार अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि यदि यह संशोधन होता है तो नियामक (PNGRB) को साझे वाहक (कॉमन कैरियर) का आदेश अधिसूचित किए जाने के बारे में शहरी गैस वितरकों (CGD) द्वारा अदालत में दाखिल मामलों से निपटने में स्पष्ट तौर पर मदद मिलेगी।

संशोधित अधिनियम की बदौलत PNGRB को नए ईंधन जैसे बॉयोगैस और हरित हाइड्रोजन से निपटने में भी व्यापक तौर पर मदद मिलेगी। यह नई ईंधन ऊर्जा इकोसिस्टम के तेजी से नए हिस्से बन रहे हैं।

सरकार फिलहाल प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों को अनुबंध वाहक के रूप में मान्यता देती है, जहां क्षमता किसी अन्य इकाई को एक फर्म अनुबंध के तहत उपलब्ध कराई जाती है। या, कॉमन कैरियर के रूप में जहां मूल लाइसेंसधारी को आम तौर पर एक वर्ष से कम अवधि के लिए अन्य आपूर्तिकर्ताओं द्वारा उपयोग के लिए अपनी नेटवर्क क्षमता के लगभग 20 फीसदी या अधिक की अनुमति देनी होती है।

प्राकृतिक गैस के परिवहन में प्राकृतिक एकाधिकार की अवधारणा को इसकी पूंजी गहनता और सुरक्षा कारकों को देखते हुए दुनियाभर में स्वीकार किया जाता है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन सरकार ने ‘साझे वाहक’ सिद्धांत पर तेजी से जोर दिया है। इसमें स्वतंत्र गैस पाइपलाइन ऑपरेटरों की नियुक्ति कर सभी उत्पादकों और उपभोक्ताओं को ईंधन की आवाजाही की आधारभूत सुविधा मुहैया कराई गई है। यह तेजी से शहरी गैर वितरकों को बढ़ाने में भी मदद करेगा।’

योजना के अंतर्गत गैस पाइपलाइन बुनियादी ढांचे के साझे वाहक का प्रबंधन करने के लिए एक परिवहन प्रणाली ऑपरेटरों (TSO) को शामिल किया जाएगा। TSO को गैस की आवाजाही के लिए पाइप लाइन क्षमता की बुकिंग का दायित्व दिया जाएगा ताकि नियामक द्वारा निर्धारित शुल्क अदा करने पर उत्पादक से लेकर उपभोक्ता तक गैस को ढोया जा सके।

इस मामले की जानकारी देने वाले अधिकारी ने बताया कि PNGRB अधिनियम में संशोधन से TSO की स्थापना के लिए अधिक कानूनी शक्ति प्राप्त होगी।

बहरहाल शहरी गैस कंपनियों का कहना है कि इस तरह का कोई भी कदम उनके आधारभूत ढांचे की विशिष्टता का उल्लंघन करेगा और इससे उनके कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। साथ ही तीसरे पक्ष को ग्राहकों को चुनने व गैस के लिए अधिक शुल्क लेने की अनुमति भी देगा।

First Published : March 31, 2024 | 10:24 PM IST