प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
सरकार ने देश के अपतटीय बेसिन के गहरे पानी और अति-गहरे पानी वाले क्षेत्रों में मौजूद बड़े तेल और गैस भंडार से जल्दी उत्पादन शुरू करने पर काम तेज कर दिया है। हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय डीपवाटर मिशन की महत्त्वाकांक्षी योजना के तहत इस पर काम हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 अगस्त के भाषण में घोषित मिशन के तहत पेट्रोलियम मंत्रालय और तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) कई मोर्चों पर आगे की कार्रवाई पर चर्चा कर रहे हैं, जिसमें भंडार की पहचान और आवंटन, स्ट्रैटिग्राफिक कुओं की ड्रिलिंग, राष्ट्रीय भूकंपीय कार्यक्रम (एनएसपी) के तहत भूकंपीय सर्वेक्षण और मिशन के तहत कार्यों के लिए समर्पित कोष बनाना शामिल है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने गहरे और अति-गहरे अपतटीय क्षेत्रों में अन्वेषण को प्रोत्साहित करने के मकसद से 3,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसके तहत सरकारी कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएस) द्वारा संयुक्त रूप से 4 स्ट्रैटिग्राफिक कुओं पर काम करेंगी। ओआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रंजीत रथ ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अंतरराष्ट्रीय तेल कंपनियों के सहयोग से गहरे और अति-गहरे कुओं के लिए कुओं के स्थानों और कुओं के डिजाइनों की पहचान सहित कई अध्ययन इसके लिए चल रहे हैं।’
इस पहल के तहत शामिल किए जाने वाले चार बेसिन अंडमान और निकोबार बेसिन, महानदी बेसिन, बंगाल बेसिन और सौराष्ट्र बेसिन हैं, जहां अगलेएक दो साल में कुओं की ड्रिलिंग की जाएगी। रथ ने कहा, ‘इन कुओं को गहरे पानी और अति-गहरे पानी तलछटी बेसिनों के बारे में डेटाबेस हासिल करने के लिए ड्रिल किया जाएगा और यह भारतीय उपमहाद्वीप के भविष्य के अन्वेषण अभियानों को अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।’ चार कुओं की ड्रिलिंग में 1 से 2 साल लगने की उम्मीद है। इसके साथ ही, ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी- एक्स (ओएएलपी-एक्स) के लिए बोली रणनीति के हिस्से के रूप में अंडमान और निकोबार बेसिन और महानदी बेसिन दोनों के लिए व्यापक पेट्रोलियम सिस्टम मॉडल (पीएसएम) अध्ययन किए गए हैं, जिसमें , जिसमें गहरे पानी और अति गहरे पानी वाले बेसिन शामिल हैं। ओएएलपी-एक्स अपतटीय अन्वेषण के लिए बोली का सबसे बड़ा दौर होगा, जिसमें 1.92 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है। इसमें से 1.75 लाख वर्ग किलोमीटर अपतटीय क्षेत्र है।
सरकार जल्द ही मिशन के तहत तेल व गैस ब्लॉकों की बोली के पहले दौर की शुरुआत करेगी। इसमें अंडमान निकोबार में 10 लाख वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्र और अत्यंत गहरे केजी और कावेरी बेसिन शामिल हैं। इस मिशन के तहत व्यापक लक्ष्य 2032 तक हाइड्रोकार्बन भंडार को दोगुना करना और 2047 तक राष्ट्रीय उत्पादन तीन गुना करना है, जिससे कच्चे चेल के 88 प्रतिशत आयात की मौजूदा निर्भरता कम की जा सके। कच्चे तेल के आयात पर पिछले वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत को 140 अरब डॉलर खर्च करने पड़े थे।