सूचना और तकनीक का महत्व समझते हुए तिरुवनंतपुरम टेक्नोपार्क ने छोटे और मझोले उद्यमों को उपकरणों की मदद मुहैया कराने के लिए कमर कस ली है।
नए उद्यम के तहत सूचना तकनीक और इससे जुड़ी सेवाओं का भरपूर उपयोग करने की तैयारी है। टेक्नोपार्क- टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्कमबेंट (टी- टीबीआई) की इस नई पहल के प्रोग्राम मैनेजर और सीएफओ के. सी. चंद्रशेखरन ने कहा कि इस नई तकनीक के जरिये छोटे और मझोले उद्यमों को तकनीकी मोर्चे पर सशक्त बनाना है और इससे उसे वैश्विक पहुंच प्रदान करने में मदद मिलेगी।
टी- टीबीआई से जुड़ी तकनीक की विशेषता है कि काफी कम दरों पर वैश्विक स्तर की प्लग ऐंड प्ले सेवा प्रदान की जा सकती है। इसके अलावा इसमें कंपनी के निर्माण से जुड़ी सूचनाएं और कानूनी औपचारिकता का भी समावेश किया गया है।
इस तकनीक के जरिये व्यापारिक योजनाएं बनाने में मदद मुहैया कराई जाएगी और बहुआयामी क्षेत्र में विशेषज्ञों की प्रचलित राय का भी समन्वय किया गया है। अगर सरल शब्दों में कहा जाए, तो इस तकनीक के जरिये हर प्रकार की व्यापारिक गतिविधियों का सरलीकरण किया जाता है।
एसएमई से जुड़ी हर वैश्विक स्तर की आवश्यकताओं और तकनीक सहयोग को इसके जरिये पूरा किया जा सकता है।
नायर कहते हैं कि कुछ साल पहले जब टी- टीबीआई की स्थापना की गई, तो उस समय इस बात की जरूरत महसूस की गई कि किसी भी उपक्रम के विकास के लिए तकनीक की उपादेयता अत्यधिक है।
शुरूआती कार्यक्रम के तहत जब छात्रों ने इस तकनीक का प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल किया, तो वह काफी सफल रहा। अब जरा सोचिए कि जब छात्रों के प्रायोगिक स्तर पर जब यह तकनीक इतनी बेहतर साबित हुई, तो अगर वैश्विक स्तर पर उपक्रमों की जरूरतों का ख्याल रखा जाए,
तो इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि यह तकनीक कितनी प्रासंगिक है। टी- टीबीआई, टेक्नोपार्क और कें द्र सरकार के विज्ञान और तकनीक विभाग का संयुक्त उद्यम है।
इसका मुख्य उद्देश्य तकनीकी संबंधी उपायों का सुग्राह्य बनाना है, ताकि उद्यमशीलता को हर स्तर पर बेहतर बनाया जा सके।
नायर बताते हैं कि टी-टीबीआई ने कई कंपनियों को बेहतर उत्पाद बनाने और प्रतिस्पर्द्धी बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति स्थापित करवाने में मदद की।
टेक्नोपार्क बिानेस इन्कंबेशन सेंटर (टीबीआईसी) एक दूसरी पहल है, जिसकी स्थापना केरल सरकार ने की है। इसका उद्देश्य व्यापारिक उद्यम स्थापित करने के लिए किया गया है, ताकि देश के भीतर और बाहर व्यापारिक प्रतिस्पद्र्धा में अपने आप को स्थापित किया जा सके।
नायर यह मानते हैं कि इस तरह की तकनीक से उपक्रमों को बाजार में स्थापित करने के लिए बेहतर माहौल बनाने में आसानी होती है और शुरूआती तौर पर अगर इस तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए,
तो बाजार में अपनी जबरदस्त उपस्थिति कायम की जा सकती है। निश्चित तौर पर यह बात कही जा सकती है कि टेक्नोपार्क की इस तकनीक ने एसएमई को सूचना और तकनीक के क्षेत्र में एक मजबूत सहारा प्रदान किया है, जिससे भारत की कंपनियां भी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकती हैं।