डेनमार्क की दवा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क ने मधुमेह के अलावा कई अन्य रोगों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इसके साथ ही भारत उसके लिए बेहद महत्वपूर्ण बाजार बन गया है।
भारत के इंसुलिन बाजार में 50 प्रतिशत से ज्यादा भागीदारी वाली यह कंपनी अपनी बेसल इंसुलिन ‘आइसोडेक’ पेश करने की योजना बना रही है, जिसे सप्ताह में सिर्फ एक बार लिए जाने की जरूरत होगी। कंपनी ने यहां अपनी निर्माण क्षमता दोगुनी करने के लिए अपनी निर्माण भागीदार टॉरंट फार्मास्युटिकल्स के साथ बातचीत शुरू की है।
नोवो नॉर्डिस्क के भारतीय व्यवसाय के लिए प्रबंध निदेशक एवं कॉरपोरेट उपाध्यक्ष विक्रांत श्रोत्रिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमारा ध्यान गंभीर रोगों पर है, और हम इस संबंध में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। हम संपूर्ण क्रोनिक डिजीज सेगमेंट के लिए चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराना चाहेंगे। ये सभी रोग, मधुमेह, लिवर, गुर्दे की समस्या, अवसाद, ह्रदय की समस्याएं, सभी का आपस में संबंध है।’ उन्होंने कहा कि हमारा मकसद डेनमार्क और अमेरिका में नई पेशकशों को जल्द ही भारत में भी लाना होगा।
श्रोत्रिया ने कहा कि जहां तक ओरल लॉन्ग ऐक्टिंग जीएलपी-1 एनालॉग ओबेसिटी दवा का सवाल है, तो इसे एक बार दैनिक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और वैश्विक तौर पर इसकी भारी मांग है। उन्होंने कहा, ‘हम क्षमता वृद्धि की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत में अपने मौजूदा भागीदार टॉरंट फार्मास्युटिकल्स के साथ बातचीत चल रही है, क्योंकि हम यहां अपनी क्षमता दोगुनी करने की संभावना तलाश रहे हैं।’
भारत का इंसुलिन बाजार करीब 3,500-4,000 करोड़ रुपये पर अनुमानित है जो 10 प्रतिशत सालाना दर से बढ़ रहा है।