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नोवो इंसुलिन पेन बाजार से जल्द होगा बाहर, भारतीय दवा फर्मों के सामने 600-800 करोड़ रुपये का मौका

इंसुलिन ह्यूमेन और एनालॉग रूपों में उपलब्ध है और दोनों ही मधुमेह वाले लोगों में रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए दवा इंजेक्शन के तौर पर मौजूद हैं।

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संकेत कौल   
Last Updated- September 24, 2025 | 11:14 PM IST

भारतीय दवा निर्माता एरिस लाइफसाइंसेस, वॉकहार्ट और ल्यूपिन) डेनिश कंपनी नोवो नॉर्डिस्क के इस साल के अंत तक ह्यूमेन इंसुलिन पेन बाजार से बाहर निकलने के कदम का लाभ उठाने की तैयारी कर रहे हैं। नोवो के इस बाजार से बाहर निकलने से घरेलू बाजार में अनुमानित रूप से 600-800 करोड़ रुपये का अवसर पैदा होगा।

इंसुलिन ह्यूमेन और एनालॉग रूपों में उपलब्ध है और दोनों ही मधुमेह वाले लोगों में रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए दवा इंजेक्शन के तौर पर मौजूद हैं। ह्यूमन रूप को भोजन से कम से कम 30 मिनट पहले इंजेक्शन योग्य पेन या शीशियों के माध्यम से लिया जा सकता है।

कुछ सेल्फ-यूज डिस्पोजेबल पेन इंसुलिन से भरे होते हैं और अन्य को नए कार्ट्रिज के साथ पुन: उपयोग किया जा सकता है। शीशियों में ह्यूमेन इंसुलिन को पारंपरिक सीरिंज के माध्यम से प्रशासित किया जाना चाहिए। जहां नोवो भारत में पेनफिल और फ्लेक्सपेन को चरणबद्ध तरीके से बंद कर रही है, लेकिन इसका ह्यूमेन इंसुलिन पोर्टफोलियो (मिक्सटार्ड, ऐक्ट्रापिड और इंसुलेटेर्ड) शीशी के रूप में उपलब्ध रहेगा।

अहमदाबाद स्थित एरिस लाइफसाइंसेस नवंबर या दिसंबर से पेन-फिल के साथ नोवो की बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा करने के लिए खुद को तैयार कर रही है, एक बार जब उसका भोपाल स्थित संयंत्र वित्त वर्ष 2026 की चौथी तिमाही से शुरू हो जाएगा, तो उसे इसमें बड़ी मदद मिलेगी।

एरिस लाइफसाइंसेज के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि अक्टूबर तक बाजार में नोवो के कार्ट्रिज का स्टॉक खत्म हो जाएगा। इसलिए यह एक ऐसा बाजार अवसर है जिससे कमाई शुरू की जा सकती है।’ वॉकहार्ट अगले 24 से 36 महीनों में ह्यूमेन इंसुलिन पेन की उत्पादन क्षमता को दो से तीन गुना तक बढ़ाने की योजना बना रही है।

First Published : September 24, 2025 | 11:09 PM IST