अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने आज कहा कि उसका नैनो-कण प्रोटीन आधारित कोविड-19 टीका उम्मीदवार तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण में कुल मिलाकर 90.4 फीसदी प्रभावी दिखा है। भारत में उसकी साझेदार सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कोवोवैक्स नाम से इस टीके का उत्पादन पहले ही शुरू कर चुकी है। वास्तव में केंद्र सरकार को अगस्त से दिसंबर के बीच कोवावैक्स की 20 करोड़ खुराक उपलब्ध होने की उम्मीद है। यूएसएफडीए द्वारा मंजूरी मिलने के बाद भारत भी देश में इस टीके के उपयोग की अनुमति देगा।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि इस टीका उम्मीदवार एनवीएक्स-सीओवी2373 ने मध्यम एवं गंभीर बीमारी के खिलाफ 100 फीसदी सुरक्षा और कुल मिलाकर 90.4 फीसदी प्रभावकारिता को दर्शाया है। साथ ही यह प्रिवेंट-19 तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के दौरान प्राथमिक एंडपॉइंट पर भी खरा उतरा है।
कंपनी ने कहा है कि नोवावैक्स के लिए नियामकीय मंजूरियां हासिल करने के लिए इस कैलेंडर वर्ष की तीसरी तिमाही में आवेदन किया जाएगा। कंपनी ने कहा कि नियामकीय मंजूरियां मिलने के बाद तीसरी तिमाही के अंत तक हर महीने 10 करोड़ खुराक के उत्पादन के लिए उसकी विनिर्माण क्षमता तैयार है। कंपनी ने कहा कि 2021 की चौथी तिमाही तक हर महीने 15 करोड़ खुराक के उत्पादन की योजना है।
नोवावैक्स के उत्पादन लक्ष्य को हासिल करने के लिए एसआईआई एक महत्त्वपूर्ण साझेदार है। वह पुणे के अपने संयंत्र में कोवोवैक्स नाम से हर महीने करीब 5 करोड़ खुराक का उत्पादन करने जा रही है। हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया है कि फिलहाल वह कितनी मात्रा में इसका उत्पादन कर रही है लेकिन फिलहाल वह 5 करोड़ प्रति महीने के लक्ष्य से कम है।
एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने कुछ महीने पहले संकेत दिया था कि अमेरिका से कच्चे माल की आपूर्ति में कमी के कारण कोवोवैक्स के लिए उत्पादन बढ़ाने की योजना प्रभावित हुई है।
नोवावैक्स के अध्ययन में अमेरिका और मेक्सिको के 119 शहरों से 29,960 स्वयंसेवकों को नामांकित किया गया था ताकि इस टीके की सुरक्षा, प्रभावकारिता एवं प्रतिरक्षा क्षमता का आकलन किया जा सके। कंपनी ने कहा है कि उसने इस बीमारी सबसे अधिक प्रभावित समुदायों एवं जनसांख्यिकीय समूहों के प्रतिनिधियों को परीक्षण के लिए पंजीकृत करने पर जोर दिया था।
प्रभावकारिता एंडपॉइंट्स 25 जनवरी से 30 अप्रैल 2021 के बीच हासिल किए गए। इसी दौरान ब्रिटेन में अल्फा (बी.1.1.7) वेरिएंट की सबसे पहले पहचान की गई थी जो अमेरिका में संक्रमण फैलाने वाला दमदार स्ट्रेन साबित हुआ था। अन्य स्ट्रेन में वेरिएंट्स ऑफ इंट्रेस्ट (वीओआई) और वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न (वीओसी) शामिल हैं। प्रिवेंट-19 एंडपॉइंट्स के दौरान इन सभी स्ट्रेन की तेजी थी।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सार्स-सीओवी-2 के जेनेटिक वेरिएंट्स उभरकर दुनिया भर में फैल गए हैं। अमेरिका के एक सरकारी समूह ने सार्स-सीओवी-2 के सभी वेरिएंट्स को तीन वर्गों में विभाजित किया है जिनमें वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट, वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ हाई कॉन्सिक्वेंसेज शामिल हैं।
