बेंगलूरु मुख्यालय वाली बायोटेक क्षेत्र की प्रमुख कंपनी बायोकॉन अपना तकरीबन 1.5 अरब डॉलर का संचयी ऋण कम करने की दिशा में काम कर रही है, जिसमें से लगभग 1.2 अरब डॉलर का ऋण वियाट्रिस के बायोसिमिलर व्यवसाय का अधिग्रहण करने के लिए पैसा जुटाने के वास्ते लिया गया था। सोहिनी दास के साथ साक्षात्कार में बायोकॉन के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी सिद्धार्थ मित्तल ने बताया कि ऋण कम करने की योजनाएं कुछ धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं। हालांकि इस मामले में मित्तल का रुख साफ है कि रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण या प्रमुख संपत्ति नहीं बेची जाएगी। जहां तक इसके जेनेरिक कारोबार की बात है, तो कंपनी 50 करोड़ डॉलर के पूंजीगत व्यय की योजना से गुजर रही है। प्रमुख अंश …
स्टॉक बढ़ने की वजह से जेनेरिक दवाओं की ग्राहक मांग नरम पड़ गई है। अगले साल के लिए क्या दृष्टिकोण है?
सीधे-सीधे कहें, तो अमेरिका और विश्व के अन्य हिस्सों में मूल्य निर्धारण का दबाव जारी है, जिससे हमारे ग्राहकों की निविदाएं हासिल करने की क्षमता पर असर पड़ रहा है। इससे इस बात पर असर पड़ा है कि वे हमसे कितनी खरीदारी करेंगे और किस कीमत पर खरीदारी करेंगे। कुछ बाजारों में स्टॉक जमा होना एक मसला रहा है। अगले वित्त वर्ष में हम नई इकाइयों के चालू होने से अधिक अवसर देख रहे हैं। इससे हमें खास तौर पर भारतीय कारोबार में उच्च स्तर पर एक अंक की वृद्धि का अनुमान मिलेगा। फॉर्मूलेशन कारोबार में हम अमेरिका में कुछ मंजूरियों की उम्मीद कर रहे हैं और साथ ही हम भौगोलिक विस्तार पर भी ध्यान देंगे। जेनेरिक कारोबार – एक्टिव फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) और फॉर्मूलेशन दोनों में ही, हम साल 2024-25 के दौरान इसमें 13 से 19 प्रतिशत के इजाफे की उम्मीद कर रहे हैं।
आप जेनेरिक कारोबार – एपीआई और फॉर्मूलेशन दोनों के मामले में ही पूंजीगत व्यय योजना के बीच में हैं। क्या आप इसकी ताजा स्थिति के बारे में बता सकते हैं?
हमने विजाग में अपनी फॉर्मूलेशन इकाई में लगभग 600 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स के मामले में वैश्विक बाजार में मांग बढ़ी है और बायोकॉन इसे पूरा करने के लिहाज से बहुत अच्छी स्थिति में है। इसलिए हम अपना आधार बेंगलूरु से आगे बढ़ाना चाहते थे। यह नई इकाई चालू कर दी गई है और नियामकों से मंजूरी के लिए यह आवेदन करेगी। हैदराबाद में हमने नॉन-पोटेंट सिंथेटिक एपीआई के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने में निवेश किया है। विजाग में एक अन्य स्थल पर हमने पोटेंट एपीआई के लिए क्षमताएं सृजित करने के लिए निवेश किया है। बेंगलूरु में हम क्षमता विस्तार कर रहे हैं। हम बेंगलूरु में इंजेक्टेबल फॉर्मूलेशन इकाई भी बना रहे हैं। 50 करोड़ डॉलर के निवेश में से एक बड़ा हिस्सा एपीआई और फॉर्मूलेशन के कारोबार में पूंजीगत व्यय में लगाया जा रहा है। हमारे जेनेरिक राजस्व का लगभग आठ प्रतिशत हिस्सा अनुसंधान और विकास में निवेश किया गया है। यह विस्तार योजना वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही तक पूर कर ली जाएगी।
क्या आप हमें जेनेरिक कारोबार की अपनी पाइपलाइन के बारे में बता सकते हैं?
हमारे पास 20 से अधिक उत्पादों की पाइपलाइन है। कुछ को मंजूरी दे दी गई है, कुछ के लिए यूएसएफडीए के पास आवेदन किया गया है और कुछ का विकास चल रहा है।
ईवा से विनिर्माण इकाई का अधिग्रहण करने से जेनेरिक कारोगार को कैसे मदद मिलेगी?
हमारे पास कोई नॉन-पोटेंट दवा विनिर्माण इकाई नहीं थी। इस इकाई के होने से ग्राहक को हमारी आपूर्ति के आश्वासन में सुधार हुआ है।
क्या आप जेनेरिक एपीआई कारोबार का विनिवेश करना चाह रहे हैं?
यह बिल्कुल बेबुनियाद अफवाह है। एपीआई हमारे कारोबार का बड़ा रणनीतिक हिस्सा है। जेनेरिक कारोबार के किसी भी हिस्से को बेचने की कोई योजना नहीं है।
ऋण कम करने की आपकी योजना कैसी चल रही है?
यह योजना चालू है, हालांकि यह हमारी उम्मीद से धीमी रफ्तार से चल रही है। बाजार की स्थिति, ब्याज दरों और कुछ अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों की वजह से ऐसा है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि ये चर्चाएं जल्द ही कारगार होंगी और हम एक निश्चित स्तर तक ऋण कम करने में कामयाब होंगे।