भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि जब नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के अधिकारी ने पुणे स्थित जेनसोल इंजीनियरिंग के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) संयंत्र का दौरा किया तो उसे ‘कोई विनिर्माण गतिविधि’ देखने नहीं मिली और वहां केवल दो-तीन मजदूर मौजूद थे। ये खुलासे जून, 2024 में प्राप्त शिकायत के बाद 15 अप्रैल को जारी किए गए बाजार नियामक सेबी के अंतरिम आदेश का हिस्सा थे, जिसमें जेनसोल के शेयर मूल्य में हेरफेर और धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।
अपने आदेश में, सेबी ने भाइयों- अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी द्वारा प्रवर्तित कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग द्वारा निवेशकों के लिए विसंगतियों के साथ-साथ भ्रामक खुलासे भी पाए। एनएसई द्वारा की गई जांच से एक खुलासा हुआ, जिसमें पुणे के चाकन में जेनसोल के ईवी संयंत्र – जेनसोल इलेक्ट्रिक व्हीकल प्राइवेट लिमिटेड में विनिर्माण गतिविधियों में कमी का पता चला।
9 अप्रैल को संयंत्र का दौरा करने के दौरान एनएसई के अधिकारी ने पाया कि वहां केवल दो-तीन मजदूर मौजूद थे। सेबी ने कहा, ‘यह पाया गया कि संयंत्र में कोई विनिर्माण गतिविधि नहीं हो रही थी और केवल दो-तीन मजदूर वहां मौजूद थे। एनएसई अधिकारी ने इकाई के बिजली बिलों का विवरण मांगा और यह पाया गया कि पिछले 12 महीनों के दौरान महावितरण द्वारा बिल की गई अधिकतम राशि दिसंबर, 2024 के लिए 1,57,037.01 रुपये थी।’
सेबी ने 15 अप्रैल को जारी अपने अंतरिम आदेश में कहा, ‘इसलिए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि संयंत्र स्थल पर कोई विनिर्माण गतिविधि नहीं हुई है, जो कि पट्टे पर दी गई संपत्ति है।’ यह दौरा 28 जनवरी, 2025 को जेनसोल द्वारा शेयर बाजारों को दी गई घोषणा के बाद हुई, जिसमें दावा किया गया था कि उसे भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो-2025 में प्रदर्शित अपनी नई पेश की गई ईवी की 30,000 इकाइयों के लिए ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। हालांकि, कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की समीक्षा करने पर, सेबी ने पाया कि ये ऑर्डर 29,000 कारों के लिए नौ संस्थाओं के साथ किए गए समझौता ज्ञापन (एमओयू) थे।