जापान की कार बनाने वाली कंपनी निसान मोटर कॉर्पोरेशन और उसकी सहयोगी रेनो भारत में मारुति सुजुकी के दबदबे को चुनौती देने के लिए चेन्नई में कार निर्माण संयंत्र लगा रही है।
लगभग 4,400 करोड़ रुपये की लागत से लगने वाले इस संयंत्र में 2010 तक उत्पादन कार्य शुरू हो जाएगा। इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 4 लाख कारों का निर्माण करने की होगी। कंपनी यहां निर्मित कारों का निर्यात भी करेगी।
इस संयंत्र में एक तरफ जहां निसान माइक्रा जैसी कारों का निर्माण करेगी वहीं रेनो लोगन के मॉडल पर आधारित कारों का निर्माण करेगी। रेनो और निसान दोनों ही भारतीय बाजार में विस्तार करेन के मामले में बाकी ऑटो कंपनियों से काफी पीछे हैं। रेनो की भारतीय ऑटो बाजार में मात्र 2.2 फीसदी की हिस्सेदारी है। मारुति सुजुकी की कारों के भारतीय बाजार में लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी है।
जनरल मोटर्स कॉर्पोरेशन, फोर्ड मोटर कंपनी और फॉक्सवैगन भारत में विस्तार के लिए पहले ही एकसाथ मिलकर लगभग 240 अरब रुपये का निवेश करने की घोषणा कर चुकी हैं। माना जा रहा है कि साल 2013 तक भारतीय बाजार में कारों की मांग दोगुनी हो जाएगी।
मुंबई की कंपनी इडलवाइज कैपिटल लिमिटेड के एक विश्लेषक आशुतोष गोयल ने कहा, ‘अभी भारतीय बाजार में कदम रखने से कंपनियां बाद में इसका फायदा उठा सकती हैं। भारत में कॉमपेक्ट कारों का बाजार काफी अच्छा है और भारत में कार बनाने से इनकी लागत भी कम ही आएगी।’
उद्योग सलाहकार कंपनी ग्लोबल इन्साइट इंक के अनुसार भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार दोगुना होकर 40 लाख वाहनों तक हो जाएगा। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के मुताबिक पिछले पांच सालों में भारतीय बाजार में कार की मांग दोगुनी होकर सालाना 12 लाख के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।
निसान और रेनो जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जापान में कम मांग और तेल की बढ़ती कीमतों के कारण अमेरिकी बाजार में मंदी छा जाने से भारत में अपना विस्तार कर रही हैं। दोनों ही कंपनियां भारत में संयंत्र लगा रही हैं जिससे कारों की निर्माण लागत कम की जा सके। निसान के उपाध्यक्ष कोलिन डोज ने कहा, ‘भारत हमेशा से ही निसान के वैश्विक विस्तार योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।’
चेन्नई में पहले से ही फोर्ड, मित्सुबिशी मोटर्स कॉर्पोरेशन और हुंडई मोटर्स जैसी कंपनियां मौजूद हैं। निसान ने पिछले महीने ही साल 2012 तक भारत में 8 मॉडल उतारने की घोषण की है।