भारत में शुरुआती चरण वाली हर पांच स्टार्टअप में से चार स्टार्टअप वर्ष 2023 में और ज्यादा कर्मचारियों को नियुक्त करना चाहती हैं। इनमें से 15.79 फीसदी स्टार्टअप अपने कर्मचारियों की संख्या में कोई बदलाव नहीं करना चाहती हैं।
हालांकि यह बात विस्तार योजनाओं, नई परियोजना के ऑर्डर और स्टार्टअप द्वारा अतिरिक्त फंड हासिल करने पर निर्भर करेगी। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (Ficci) तथा एचआर सेवा क्षेत्र की फर्म रैंडस्टैड इंडिया द्वारा जारी ‘फिक्की- रैंडस्टैड स्टार्टअप हायरिंग ट्रेंड्स सर्वे’ के अनुसार शुरुआती चरण वाली शेष 3.72 प्रतिशत स्टार्टअप वर्ष 2023 में अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती करना चाहती हैं। सर्वेक्षण में भारत के 300 स्टार्टअपों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से अधिकांश में 20 से कम कर्मचारी थे।
वर्ष 2023 में लोगों को नियुक्त करने की योजना बना रही स्टार्टअपों के मामले में प्रत्येक तीन में से करीब एक (32 प्रतिशत) को अपने कर्मचारी आधार में 30 फीसदी से ज्यादा का इजाफा होने की उम्मीद है। करीब 28 फीसदी स्टार्टप की योजना नियुक्ति में 11 से 20 फीसदी तक का इजाफा करने की है।
उद्योग के लिहाज से स्वास्थ्य सेवा में 13 फीसदी की दर के साथ सबसे अधिक नियुक्ति करने का इरादा है, इसके बाद आठ फीसदी की दर के साथ सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग और सात-सात फीसदी की दर से कृत्रिम मेधा (एआई/एमएल/डीपटेक), फिनटेक और विनिर्माण क्षेत्रों का स्थान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के दौरान रकम जुटाने की कवायद में गिरावट ने कुछ यूनिकॉर्न कंपनियों को नौकरी पर रखने और यहां तक कि इसमें कटौती करने के लिए मजबूर किया है, लेकिन सीरीज ए और बी स्तरों वाली शुरुआती चरण की स्टार्टअप सक्रिय रूप से कर्मचारियों को काम पर रखती रही हैं।