पाइपलाइन के लिए एकीकृत शुल्क ढांचा अपनाने के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) के निर्णय से इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) की इनपुट लागत में करीब 5 से 6 फीसदी की वृद्घि होने के आसार हैं।
आईजीएल के प्रबंध निदेशक ए के जना ने कहा है कि एकीकृत शुल्क का असर मामूली होगा और इसका कुछ हिस्सा उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा। हालांकि खुदरा कीमत में इजाफा मामूली होगा क्योंकि राष्ट्रीय पाइपलाइनों के लिए परिवहन शुल्क अंतिम रूप से उपभोक्ता मूल्य का केवल 12.5 फीसदी होता है।
जना ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में हमें कुछ असर नजर आएगा लेकिन वह बहुत ही मामूली होगा। निश्चित तौर पर इनपुट लागत बढऩे से कीमतों में वृद्घि होगी क्योंकि हमारा भौगोलिक क्षेत्र जोन 1 में नहीं है। इनपुट लागत में वृद्घि करीब 5-6 फीसदी की होगी।’
फिलहाल शुल्क पाइपलाइन से तय की जाने वाली दूरी के आधार पर तय होता है। लंबी दूरी के लिए अधिक शुल्क भरना होता है। हालांकि, नए नियमन के मुताबिक दो जोन होंगे। 300 किलोमीटर से कम दूरी को जोन 1 में रखा जाएगा और उससे अधिक दूरी को दूसरे जोन में रखा जाएगा। दूसरे और तीसरे जोन के लिए शुल्क 100 फीसदी होगा और जोन 1 के लिए शुल्क उनके मुकाबले 40 फीसदी होगा। एकीकृत शुल्क ढांचा एकल गैस बाजार और ऊर्जा बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करने की सरकार की रणनीति का हिस्सा है। रिपोर्टों के आधार पर नए शुल्क ढांचे से स्रोत पर परिवहन लागत में 20 से 30 फीसदी का इजाफा होगा जबकि आंतरिक इलाकों में शुल्क में कमी आएगी। उद्योग से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘जिनका भी भौगोलिक क्षेत्र जोन 1 में आएगा उन्हें फायदा होगा और इससे बाहर जोन 2 और जोन 3 में आने वालों को समस्या होगी।’
इस क्षेत्र में ओपन मार्केट पहुंच शुरू होने से मौजूदा कंपनियों के लिए कुछ सुरक्षा भी है। 26 नवंबर को पीएनजीआरबी ने शहरी गैस वितरण नेटवर्कों पर तीसरे पक्ष के मालवाहकों को पहुंच देने के लिए एक अंतिम नियमन जारी किया गया है।
कॉर्पोरेट रेटिंग इक्रा के उपाध्यक्ष और सह-प्रमुख अंकित पटेल ने कहा, ‘नियमनों में तेल विपनण कंपनियों (ओएमसी) या उनके डीलरों/फ्रेंचाइज द्वारा परिचालित सीएनजी स्टेशनों पर और अधिक स्पष्टीकरण देने को छोड़कर पहुंच संहिता के अधिकांश पहलुओं में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पीएनजीआरबी ने फ्रेंचाइज/डीलरों (ओएमसी के सीएनजी/एलएनजी स्टेशनों सहित) के मौजूदा सीएनजी स्टेशनों को लेकर स्पष्ट किया है कि पहुंच की अनुमति देने के उद्देश्य के लिए मालवाहकों को तीसरा पक्ष नहीं समझा जाएगा।’
