New Revised Electronics Policy: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने देश में मजबूत विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर इस क्षेत्र को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने के मकसद से इलेक्ट्रॉनिक्स पर नई संशोधित राष्ट्रीय नीति (एनईपी) पर काम शुरू कर दिया है। 2019 में लाई गई पिछली एनईपी में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और 2025 तक 110 अरब डॉलर के मोबाइल फोन समेत कुल 400 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के निर्यात का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया था। मगर यह आंकड़ा कम पड़ जाएगा और नीति पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत होगी।
अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स के उप क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और देसी पूंजी उद्योग के विकास के लिए प्रमुख कार्यसमूह गठित किया गया है।
यह कार्यसमूह इलेक्ट्रानिक्स से जुड़े सभी क्षेत्रों में आने वाली चुनौतियों की पहचान करेगा और उसकी स्थिति की समीक्षा करेगा। इसके साथ ही वाजिब शुल्क ढांचे, प्रोत्साहन, प्रक्रियागत उपायों के जरिये इन चुनौतियों से निपटने के सुझाव देगा।
इसके साथ ही यह समूह उत्पादकता बढ़ाने, रोजगार सृजन और घरेलू मूल्यवर्द्धन बढ़ाने एवं भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला के अनुरूप बनाने पर भी अपने सुझाव देगा। समूह 28 जून को अपनी रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को सौंपेगा।
कार्यसमूह मोबाइल फोन, आईटी हार्डवेयर, पूंजीगत वस्तुओं, कलपुर्जों, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक एवं रणनीतिक इलेक्ट्रॉनिक्स, सीसीटीवी एवं इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), वेयरेबल्स एवं हियरेबल उपकरणों, एलईडी लाइटिंग, पीसीबी असेंबलिंग आदि क्षेत्रों पर गौर करेगा।
कार्यसमूह में आईसीईए, एमएआईटी, सीआईआई, ईएलसीआईएनए और सीईएएमए जैसे उद्योग संगठन शामिल हैं। इसके अलावा ऐपल इंक, सैमसंग, गूगल जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां और डिक्सन टेक्नोलॉजिज, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, भगवती प्रोडक्ट्स जैसी घरेलू कंपनियां भी इसमें शामिल हैं।
संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स नीति के लिए यह पहल ऐसे समय में की गई है जब 2022 में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के दृष्टि पत्र में वित्त वर्ष 2026 तक 300 अरब डॉलर के उत्पादन और वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत को शामिल करते हुए 105 से 130 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का लक्ष्य रखा गया था।
हालांकि मौजूदा अनुमान के अनुसार, इन आंकड़ों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है क्योंकि वित्त वर्ष 2024 तक भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात महज 30 अरब डॉलर और कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 115 अरब डॉलर तक ही पहुंच पाया है। एनईपी 2019 एक महत्त्वपूर्ण सरकारी हस्तक्षेप था क्योंकि उसके बाद उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) की शुरुआत हुई थी।
पहले मोबाइल उपकरणों के लिए और फिर आईटी उत्पादों के लिए पीएलआई योजना शुरू की गई। यह योजना मुख्य तौर पर निर्यात पर केंद्रित है और इसने वित्त वर्ष 2024 में इलेक्ट्रॉनिक निर्यात को 29.1 अरब डॉलर तक पहुंचाने में मदद की जो 2019-20 में महज 11.2 अरब डॉलर था।