अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में याची ने शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के उन अभियोग को रिकॉर्ड में लेने की मांग की है, जिनमें रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों को मौजूदा मामले में प्रासंगिक बताया गया है।
याचिका में कहा गया है कि अमेरिकी अभियोग में समूह द्वारा किए गए गलत आचरण का खुलासा हुआ है और ये आरोप इतने गंभीर किस्म के हैं कि देश हित में भारतीय एजेंसियों से भी इनकी जांच होनी चाहिए। याची ने अब तक की गई जांच को लेकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की निर्णायक रिपोर्ट की भी मांग की है।
याचिका में कहा गया है, ‘सेबी को यह जांच पूरी करके और जांच की रिपोर्ट तथा निष्कर्ष को रिकॉर्ड में रख कर लोगों में विश्वास जगाना चाहिए। चूंकि सेबी की जांच में शॉर्ट सेलिंग के आरोप थे और विदेशी अधिकारियों द्वारा लगाए गए मौजूदा आरोपों का संबंध हो भी सकता है और नहीं भी, लेकिन सेबी की जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट होना चाहिए ताकि निवेशकों का भरोसा न टूटे।’
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने याचिका में कहा, ‘इस मामले में ऐसा लगता है कि सेबी कोई मामला बनाने में सक्षम नहीं है और मामला नहीं बनने की ऐसी स्थिति को प्रथम दृष्टया स्थिति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसकी पुष्टि तब तक नहीं की जा सकती, जब तक कि और ज्यादा जांच न हो जाए।’
अमेरिकी अभियोजकों ने अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और कई अन्य अधिकारियों पर रिश्वत देने और कॉर्पोरेट प्रशासन के संबंध में भ्रामक बयान देने का आरोप लगाया है। अदाणी समूह ने अमेरिकी अभियोजकों के आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वह कानूनी सहारा लेगा।
समूह के सीएफओ ने कहा कि समूह की 11 सार्वजनिक कंपनियों में से किसी के भी खिलाफ अभियोग दायर नहीं हुआ और कानूनी फाइलिंग में किसी पर कोई गलत काम करने का आरोप नहीं लगाया गया है।
अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच में सेबी ने पहले कहा था कि उसने 24 में से 22 जांच पूरी कर ली हैं। नियामक के इसे प्रस्तुत किए जाने के बाद अदाणी समूह की चार कंपनियों को इस वित्त वर्ष में सितंबर तक सेबी से कारण बताओ नोटिस मिले थे।