जीवन बीमा कंपनियों का न्यू बिजनेस प्रीमियम फरवरी में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 17 प्रतिशत कम हुआ है। इस अवधि के दौरान सरकारी कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम का प्रीमियम संग्रह 32 प्रतिशत घटा है, क्योंकि इसके ग्रुप सिंगल प्रीमियम सेग्मेंट में गिरावट आई है।
लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल (एलआई काउंसिल) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में उद्योग का एनबीपी 22,847.65 करोड़ रुपये रहा है, जिसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 17 प्रतिशत गिरावट आई है।
सामान्यतया वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही जीवन बीमा कंपनियों के लिए सबसे व्यस्त होती है क्योंकि ग्राहक अपनी कर देनदारी घटाने के लिए बचत और सावधि पॉलिसियां खरीदते हैं। जनवरी में उद्योग के प्रीमियम में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी। निजी क्षेत्र की कंपनियों का इसमें अहम योगदान था, जिन्होंने सालाना आधार पर 23 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की थी वहीं एलआईसी के प्रीमियम में पिछले साल की तुलना में 18 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
फरवरी मं जहां निजी क्षेत्र की कंपनियों ने प्रीमियम में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और इनका प्रीमियम 10,968 करोड़ रुपये रहा है, वहीं बीमा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एलआईसी का प्रीमियम 32 प्रतिशत घटकर 11,879.49 करोड़ रुपये रह गया है। पिछले साल फरवरी में एलआईसी का प्रीमियम 17,489 करोड़ रुपये था।
एनबीपी वह प्रीमियम होता है, जो एक साल के दौरान नई पॉलिसियों से आता है। पहले साल के प्रीमियम और एकल प्रीमियम का योग न्यू बिजनेस प्रीमियम होता है।
एलआईसी को ग्रुप सिंगल प्रीमियम में मात खानी पड़ी है। फरवरी में इसमें 40 प्रतिशत की कमी आई है, जिसकी वजह से उसका एनबीपी नीचे चला गया है। आंकड़ों से पता चलता है कि एलआईसी ने ग्रुप सिंगल प्रीमियम से फवरी 2023 में 7,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं , जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 12,062 करोड़ रुपये आए थे। इस अवधि में एलआईसी द्वारा बेची गई ग्रुप पॉलिसीज की संख्या पिछले साल की समान अवधि के 32 प्रतिशत से गिरकर 19 प्रतिशत रह गई है।
ग्रुप सिंगल प्रीमियम में गिरावट की वजह जानने के लिए एलआईसी को भेजे गए ई-मेल का कोई उत्तर नहीं मिल सका।
निजी क्षेत्र की कंपनियों की व्यक्तिगत नॉन-सिंगल प्रीमियम में शानदार वृद्धि हुई है। इनके ग्रुप सिंगल प्रीमियम में भी वृद्धि हुई है।
2022-23 में अब तक जीवन बीमाकताओं के कुल प्रीमियम में सालाना आधार पर 25.06 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह 3.18 लाख करोड़ रुपये हो गया है। एलआईसी के प्रीमियम में 30 प्रतिशत और निजी बीमाकर्ताओं के प्रीमियम में 17.38 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
वित्त वर्ष 23 में साल की शुरुआत से अब तक की वृद्धि में ग्रुप सिंगल प्रीमियम और कम आधार का योगदान रहा है। निजी बीमा कंपनियां व्यक्तिगत नॉन-सिंगल प्रीमियम सेग्मेंट में अपना कारोबार बढ़ा रही हैं।
एनुअलाइज्ड प्रीमियम इक्वीवैलेंट (एपीई) के आधार पर देखें तो बीमा उद्योग की खुदरा एपीई वृद्धि फरवरी में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10.5 प्रतिशत रही है। निजी क्षेत्र की वृद्धि 18.2 प्रतिशत रही है, जबकि एलआईसी की खुदरा एपीई में पिछले साल की तुलना में 3 प्रतिशत कमी आई है। एपीई में रेगुलर या चालू प्रीमियम और वित्त वर्ष के किसी नए सिंगल प्रीमियम का 10 प्रतिशत शामिल होता है।
इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस के डिप्टी सीईओ ऋषभ गांधी ने कहा, ‘व्यक्तिगत एपीई के हिसाब से फरवरी में कारोबार में कोई गिरावट नहीं आई है। निजी क्षेत्र की वृद्धि 18 प्रतिशत रही है, जो साल की शुरुआत से अब तक की वृद्धि दर के अनुरूप है। बहरहाल सार्वजनिक क्षेत्र का प्रीमियम जनवरी की तुलना में कम रहा है। इसकी वजह से कुल मिलाकर उद्योग की वृद्धि दर स्थिर हो गई है। फरवरी में कार्यदिवस कम होते हैं, इसकी वजह से भी प्रीमियम कम आता है। मार्च महीने में भी महंगी पॉलिसियों की बिक्री में तेजी आने की संभावना है क्योंकि अप्रैल 2023 से नए मानक लागू हो जाएंगे।’