सोशल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कंपनी मीशो खाद्य एवं किराना बाजार में खलबली मचाने जा रही है। पहले चरण में वह 200 से अधिक मझोले एवं छोटे शहरों में सभी ऑर्डरों पर मुफ्त होम डिलिवरी देगी। कंपनी कमाई के मॉडल के मामले में भी उठापटक मचाएगी। यह अपने प्रतिस्पद्र्घियों की तरह विक्रेताओं से कमीशन लेने के बजाय विज्ञापन से कमाई पर जोर दे रही है।
मीशो के इस कदम से जियो मार्ट, टाटा की बिग बास्केट, एमेजॉन, ग्रोफर्स जैसी इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को चुनौती मिलने के आसार हैं, जिनमें से कई ने मुफ्त डिलिवरी के लिए न्यूनतम ऑर्डर कीमत तय की हुई है। मीशो के सह-संस्थापक और सीईओ विदित अत्रे से जब पूछा गया कि वे भरपूर पैसे और बाजार में दबदबे वाले इन दिग्गजों से मुकाबला कैसे करेंगे तो उन्होंने सबसे पहले बताया कि बड़ी कंपनियां नाकाम कहां रही हैं। उन्होंने कहा, ‘अब तक कोई भी कंपनी बड़े शहरों से आगे ऑनलाइन किराना डिलिवरी के मॉडल का समाधान नहीं खोज पाई है। यही वजह है कि उनका कारोबार सबसे बड़े 6 से 10 बाजारों में ही चल रहा है क्योंकि अन्य जगहों पर अर्थशास्त्र काम नहीं करता है।’
उन्होंने कहा कि मीशो एक बिल्कुुल अलग मॉडल के जरिये छोटे शहरों और कस्बों में ऑनलाइन किराना कारोबार में उतरेगी। मीशो ने कर्नाटक के चुनिंदा छोटे शहरों में किराना सेवा शुरू की है और फार्मीसो के नाम से एक अलग ब्रांड बनाएगी। इसे कपड़े एवं रसोई के सामान से लेकर सौंदर्य एवं इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अन्य उत्पाद क्षेत्रों में तगड़ी सफलता मिली है।
इस समय किराना एवं खाद्य कारोबार में औसतन 600 से 800 रुपये के न्यूनतम ऑर्डर पर मुफ्त डिलिवरी मिलती है। लेकिन मीशो की योजनाओं के कारण बड़ी कंपनियां भी मुफ्त डिलिवरी के लिए तय न्यूनतम ऑर्डर को खत्म कर रही हैं। बिग बास्केट ने 199 रुपये के ऑर्डर पर मुफ्त डिलिवरी देना शुरू कर दिया है। हालांकि आपका बीबी स्टार सदस्य होना जरूरी है, जिसका इस समय छह महीनों का शुल्क 300 रुपये है। जियो मार्ट बिना किसी न्यूनतम ऑर्डर कीमत के मुफ्त डिलिवरी दे रही है।
मीशो की अनोखी रणनीति का आधार स्तंभ इन शहरों के ‘कम्युनिटी लीडर’ का इस्तेमाल करना है, जो प्लेटफॉर्म के जरिये ग्राहकों से मिले अलग-अलग कीमत के किराना ऑर्डर इक_े करेंगे और ग्राहक के घर तक सामान पहुंचाएंगे। कंपनी का अनुमान है कि इस एग्रीगेशन और समुदाय खरीद से 80 से 100 रुपये के हर ऑर्डर से भी मुफ्त डिलिवरी करना मुमकिन होगा। इन कम्युनिटी लीडर में ज्यादातर किराने की दुकानें, ब्यूटी पार्लर एवं टेलर की दुकान के मालिक जैसे खुदरा विक्रेता, गृहिणियां और अतिरिक्त आमदनी चाहने वाले लोग शामिल होंगे। अत्रे ने कहा कि कंपनी कमाई के मॉडल को भी बदल रही है। उन्होंने कहा, ‘हम छोटे उद्यमों से 20 से 30 फीसदी कमीशन वसूल करने के बजाय विज्ञापन राजस्व के आधार पर एक उद्यम-अनुकूल मॉडल बनाने में सफल रहे हैं। छोटे उद्यमों से कमीशन वसूलना गलत है, जिससे उनके पास वृद्धि के लिए कुछ नहीं बचता है।’
हालांकि मीशो इस मॉडल के इर्द-गिर्द एक नेटवर्क बनाएगी। इसमें विक्रेताओं को कार्यशील पूंजी के लिए ऋण के रूप में वित्तीय सेवाओं समेत कई सेवाएं मुहैया कराना भी शामिल होगा ताकि उन्हें अपनी कमाई बढ़ाने में मदद मिल सके।
अत्रे ने कहा कि मीशो के अपने गोदाम नहीं हैं और वह किसी तीसरे लॉजिस्टिक उद्यमी के जरिये वितरण करती है। इस वजह से उनकी लागत उन कंपनियों से कम आती है, जिनके अपने गोदाम हैं।